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इष्टकाल बनाने के नियम-स्थानीय सूर्योदय, सूर्यास्त और दिनमान बनाने के पश्चात् जन्मसमय को स्थानीय धूपघड़ी के अनुसार बना लेना चाहिए। अनन्तर निम्न चार नियमों से जहाँ जिसका उपयोग हो, उसके अनुसार घट्यादिरूप इष्टकाल निकाल लेना चाहिए।
१-सूयोदय से लेकर १२ बजे दिन के भीतर का जन्म हो तो जन्मसमय और सूर्योदयकाल का अन्तर कर शेष को ढाई गुना (२३) करने से घटयादि इष्टकाल होता है । जैसे मान लिया कि आरा नगर में वि. सं. २००१ वैशाख शुक्ला द्वितीया सोमवार को प्राप्तःकाल ८ बजकर १५ मिनट पर किसी का जन्म हुआ है। पहले इस स्टैण्डर्ड टाइम को स्थानीय समय बनाना है। अतः आरा के रेखांश और स्टैण्डर्ड टाइम से रेखांश का अन्तर कर लिया तो-(८४१४०)-( ८२ । ३० ) = (२।१०) इसे ४ मिनट से गुणा किया तो-८ मिनट ४० सेकेण्ड आया। स्टैण्डर्ड टाइम के रेखांश से आरा का रेखांश अधिक है, इसलिए इस फल को स्टैण्डर्ड टाइम में जोड़ा
८।१५।०
८४० ८२३।४० देशान्तर संस्कृत समय
२४ अप्रैल को वेलान्तर सारणी में दो मिनट धन संस्कार लिखा है, अतः उसे जोड़ा तो-( ८।२३।४० ) + ( ०२१०) = ८।२५।४० आरा का समय हुआ; यही बालक का जन्मसमय माना जायेगा। उपर्युक्त नियम के अनुसार इष्टकाल बनाने के लिए आरा का सूर्योदय इस जन्मदिन का निकालना है। पहले उदाहरण में इस दिन का सूर्योदय ५।३४।४८ बजे आया है । अतएव८।२५।४० जन्मसमय में से ५।३४।४८ सूर्योदय को घटाया २।५०१५२–इसे ढाई गुना किया-( २।५०१५२ )४३ = ७७।१० घट्यादि इष्टकाल हुआ।
२-यदि १२ बजे दिन से सूर्यास्त के अन्दर का जन्म हो तो जन्मसमय और सूर्यास्तकाल का अन्तर कर शेष को ढाई गुना कर दिनमान में से घटाने पर इष्टकाल होता है । उदाहरण-वि. सं. २००१ वैशाख शुक्ला द्वितीया सोमवार को २ बजकर २५ मिनट पर आरा में जन्म हुआ है । समय शुद्ध करने के लिए देशान्तर और वेलान्तर दोनों संस्कार किये-(२।२५ ) + ( ०1८।४० देशान्तर )+ ( ०२१० वेलान्तर ) २।३५।४० आरा का जन्मसमय । सूर्यास्त पहले उदाहरण में ६।२५।१२ और दिनमान ३२ घटी ६ पल निकाला गया है अतः ६।२५।१२ सूर्यास्त में से
२।३५।४० जन्मसमय को घटाया ३।४९।३२ इसे ढाई गुना किया
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भारतीय ज्योतिष
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