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०।१०।२८।५७ सूर्य-स्पष्ट
२३१४६। • अयनांश १। ४।१४।५७ सायन सूर्य यहाँ वृषराशि के सूर्य का भुक्तांश ४।१४।५७ है और भोग्यांश= १०1०10-एक राशि में से ०।४।१४।५७-भुक्तांश घटाया २५१४५। ३ भोग्यांश वृषराशि का भोग्यांश होने से, आरा के वृषराशि के उदयमान से गुणा किया--
२५।४५।३ ४ २४५ = ६५४०१०।४२ । ४२ इस संख्या की प्रथम अंक राशि में ३० से भाग दिया तो २१८१०।४२।४२ यहाँ पहली अंकराशि पल है, आगेवाली राशियाँ विपलादि हैं। गणित क्रिया में केवले पलों का उपयोग होता है, इसलिए और राशियों का त्याग कर दिया तो-२१८ ही राशि रह गयी । इष्टकाल २३३२२ के पल बनाये-४६०
१३८०
२२
१४०२ पल हुए, इनमें से
२१८ भोग्य पल घटाये ११८४
(यहाँ वृषराशि के उदयमान से गुणा कर ३०३ मिथुन
निकाला गया था, अतः उसमें आगेवाली ८८१
(राशियों के उदयमान घटाये गये हैं। ३४१ कर्क
५४० ५४०
( यहाँ सिंह तक राशियों के उदयमान इष्टकाल के पलों ३४४ सिंह र में से घट गये हैं, अतः सिंह शुद्ध और कन्या अशुद्ध १९६
. ( कहलायेगी। १९६ x ३० = ५८८०, इसमें अशुद्ध राशि के उदयमान से भाग दिया। ३३६)५८८०(१७ अंश
३३६ २५२० २३५२
१६८४६० %3 ३३६) १००८० (३० कला
१००८
x
५।१७।३०१० सायन लग्न में से
२३।४६।० अयनांश घटाया ४।२३।४४१० यह स्पष्ट लग्न है।
(सिंह राशि घट गयी थी, अतएव
लग्न के राशि स्थान में ५ माना जायेगा।
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मारतीय ज्योतिष
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