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तिथियों के स्वामी-प्रतिपदा का स्वामी अग्नि, द्वितीया का ब्रह्मा, तृतीया की गौरी, चतुर्थी का गणेश, पंचमी का शेषनाग, षष्ठी का कार्तिकेय, सप्तमी का सूर्य, अष्ठमी का शिव, नवमी का दुर्गा, दशमी का काल, एकादशी के विश्वेदेव, द्वादशी का विष्णु, त्रयोदशी का काम, चतुर्दशी का शिव, पौर्णमासी का चन्द्रमा और अमावस्या के पितर हैं। तिथियों के शुभाशुभत्व के अवसर पर स्वामियों का विचार किया जाता है।
___ अमावास्या के तीन भेद हैं-सिनीवाली, दर्श और कुहू । प्रातःकाल से लेकर रात्रि तक रहनेवाली अमावास्या को सिनीवाली, चतुर्दशी से विद्ध को दर्श एवं प्रतिपदा से युक्त अमावास्या को कुहू कहते हैं ।
तिथियों की संज्ञाएँ-१।६।११ नन्दा, २१७।१२ भद्रा, ३।८।१३ जया, ४।९। १४ रिक्ता और ५।१०।१५ पूर्णा संज्ञक है।
पक्षरन्ध्र-४।६।८।९।१२।१४ तिथियाँ पक्षरन्ध्र संज्ञक हैं ।
मासशन्य तिथियाँ-चैत्र में दोनों पक्षों की अष्टमी और नवमी, वैशाख में दोनों पक्षों की द्वादशी, ज्येष्ठ में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी और शुक्लपक्ष की त्रयोदशी, आषाढ़ में कृष्णपक्ष की षष्ठी और शुक्लपक्ष की सप्तमी, श्रावण में दोनों पक्षों की द्वितीया और तृतीया, भाद्रपद में दोनों पक्षों की प्रतिपदा और द्वितीया, आश्विन में दोनों पक्षों की दशमी और एकादशी, कार्तिक में कृष्णपक्ष की पंचमी और शुक्लपक्ष की चतुर्दशी, मार्गशीर्ष में दोनों पक्षों की सप्तमी और अष्टमी, पौष में दोनों पक्षों की चतुर्थी और पंचमी, माघ में कृष्णपक्ष की पंचमी और शुक्लपक्ष की षष्ठी एवं फाल्गुन में कृष्णपक्ष की चतुर्थी और शुक्लपक्ष की तृतीया मासशून्य संज्ञक हैं। मासशून्य तिथियों में कार्य करने से सफलता प्राप्त नहीं होती।
सिद्धा तिथियां-मंगलवार को ३।८।१३, बुधवार को २।७।१२, बृहस्पतिवार को ५।१०।१५।, शुक्रवार को ११६।११ एवं शनिवार को ४।९।१४ तिथियाँ सिद्धि देनेवाली सिद्धासंज्ञक है । इन तिथियों में किया गया कार्य सिद्धिप्रदायक होता है।
दग्ध, विष और हुताशन संज्ञक तिथियां-रविवार को द्वादशी, सोमवार को एकादशी, मंगलवार को पंचमी, बुधवार को तृतीया, बृहस्पतिवार को षष्ठी, शुक्रवार को अष्टमी और शनिवार को नवमी दग्धा संज्ञक; रविवार को चतुर्थी, सोमवार को षष्ठी, मंगलवार को सप्तमी, बुधवार को द्वितीया, बृहस्पतिवार को अष्टमी, शुक्रवार को नवमी
और शनिवार को सप्तमी विष संज्ञक एवं रविवार को द्वादशी, सोमवार को षष्ठी, मंगलवार को सप्तमी, बुधवार को अष्टमी, बृहस्पतिवार को नवमी, शुक्रवार को दशमी
और शनिवार को एकादशी हुताशन संज्ञक हैं । नामानुसार इन तिथियों में कार्य करने में विघ्न-बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
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