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[२] वाणी का टैपिंग, 'कोडवर्ड' से प्रश्नकर्ता : वाणी को सुधारने का रास्ता क्या है?
दादाश्री : वाणी को सुधारने का रास्ता ही यहाँ पर है। यहाँ पर सबकुछ पूछ-पूछकर समाधान कर लेना चाहिए। _ 'स्थूल संयोग, सूक्ष्म संयोग और वाणी के संयोग पर हैं और पराधीन हैं।' इतना ही वाक्य खुद की समझ में रहता हो, खुद की जागृति में रहता हो, तो सामनेवाला व्यक्ति चाहे जो बोले फिर भी हमें ज़रा भी असर नहीं होगा और यह वाक्य कल्पित नहीं है। जो एक्जेक्ट है, वह कह रहा हूँ। मैं आपको ऐसा नहीं कहता कि मेरे शब्द का मान रखकर चलो। एक्ज़ेक्ट ऐसा ही है। हकीकत आपको समझ में नहीं आने के कारण आप मार खाते हो।
प्रश्नकर्ता : सामनेवाला उल्टा बोले तब आपके ज्ञान से समाधान रहता है, परंतु मुख्य सवाल यह रहता है कि हमसे कड़वा बोल निकले, तब उस समय हम इस वाक्य का आधार लें, तो हमें उल्टा लाइसेन्स मिल जाता है?
दादाश्री : उस वाक्य का आधार लिया ही नहीं जा सकता न! ऐसे समय में तो आपको प्रतिक्रमण का आधार दिया हआ है। सामनेवाले को दुःख हो वैसा बोल लिया हो तो प्रतिक्रमण कर लेना चाहिए। और सामनेवाला भले कुछ भी बोले, तब यदि 'वाणी पर है और पराधीन है', उसे स्वीकार किया तो फिर आपको सामनेवाले से दु:ख रहा ही नहीं न?
अब आप खुद उल्टा बोलो फिर उसका प्रतिक्रमण करो, तब