________________
आप्तवाणी- -६
सिर्फ चित्त ही ठिकाने पर आ गया तो सबकुछ ठिकाने पर आ जाएगा। अशुद्ध चित्त के कारण भटकते रहते हैं इसलिए चित्त की शुद्धि होने तक ही यह योग अच्छी तरह से जमाना है ।
८७
प्रश्नकर्ता : भीतर कपट खड़ा होता है, कपट के विचार आते हैं, उसका क्या करें?
दादाश्री : वह सारा पुद्गल है । विचार करनेवाला भी पुद्गल है । आत्मा में ऐसी-वैसी वस्तु नहीं है, उसमें तो किसी भी प्रकार का कचरा नहीं है। 'पज़ल' होता है, वह भी पुद्गल है और 'पज़ल' करनेवाला भी पुद्गल है! पज़ल को जाना किसने? आत्मा ने ! सरलता और कपट को जो जानता है, वह आत्मा है !
डिसीज़न में वेवरिंग
प्रश्नकर्ता : किसी बात का डिसीज़न नहीं आए, तब तक वेवरिंग (द्विधा) रहती है।
दादाश्री : डिसीज़न नहीं आए तो उससे कोई प्लेटफोर्म पर बैठे नहीं रहना है।‘अभी जाऊँ या बाद में जाऊँ' ऐसा होने लगे, तब जो गाड़ी आए उसमें बैठ जाना।
डिसीज़न नहीं आने का कारण बुद्धि का अभाव है । बुद्धिशाली मनुष्य हर एक वस्तु में डिसीज़न तुरंत ला सकते हैं, ऑन दी मोमेन्ट । पाँच मिनिट की भी देर नहीं लगती। इसलिए हमने उसे कोमनसेन्स कहा है। कोमनसेन्स अर्थात् एवरीव्हेर एप्लीकेबल । यह चाबी कैसी है कि हर एक ताला खुल जाएगा इससे !
यहाँ बैठा रहूँ या जाऊँ, उसका यदि डिसीज़न नहीं आ रहा हो तो जाने लगना। हाँ, यहाँ बैठे रहना होगा तो 'व्यवस्थित' तुझे वापस ले आएगा। तुझे इस तरह डिसीज़न लेना चाहिए ।
प्रश्नकर्ता : यहाँ से किसी भी संयोग में जाना ही नहीं है, ऐसा ही अंदर से तय होता रहता है और ऐसा भी बताता है कि जाना तो पड़ेगा न !