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आप्तवाणी-६
अब स्लिप होने का उपयोग किसे कहते है? एक मिलमालिक सेठ थे। वे मेरे साथ भोजन करने बैठे। उसकी वाइफ सामने आकर बैठ गई। मैंने कहा, 'क्यों आप ऐसे सामने आकर बैठी हैं?' तब सेठानी ने कहा, 'ये सीधी तरह से भोजन नहीं करते। तो आज आप आये हैं, तो ज़रा सीधी तरह खाएँ, इसलिए मैं बैठी हूँ!'
तब सेठ ने कहा, 'उठ, उठ, तू तो बेअक़्ल है।' मैं समझ गया सब कि 'सेठ कैसे होंगे'। मैंने सेठ से कहा, 'सेठानी आपके हित के लिए कह रही हैं। आप सीधी तरह से भोजन करो तो आपका शरीर अच्छा रहेगा। उल्टा उसे बेअक़्ल कहकर किसलिए धमका रहे हो?' तब सेठ ने कहा कि 'उसकी बात तो ठीक है। मैं जब खाना खाने बैठता हूँ, तब मेरा चित्त मिल में रहता है, वहाँ सेक्रेटरी के साथ बातें करता रहता हैं और यहाँ पर यह शरीर खाता रहता है!' इसे, स्लिप हो चुका उपयोग कहा जाता है। फिर मैंने सेठ से कहा, "सेठ, यह आपका उपयोग स्लिप हो गया। उससे क्या होगा जानते हो? जब चित्त 'एबसेन्ट' हो उस समय यदि आप भोजन करो, तो 'हार्टफेल' के साधन उत्पन्न होंगे!' भोजन करते समय कभी भी चित्त 'एबसेन्ट' नहीं रखना चाहिए!" तब सेठ ने कहा, "मेरा चित्त 'एबसेन्ट' ही रहता है, मुझे कोई रास्ता बताइए।" उसके बाद मैंने उन्हें रास्ता बताया कि कैसे चित्त हाज़िर रह सकता है।' अब उस सेठ को पैसे गिनने को दिए हों, तब क्या होगा?
प्रश्नकर्ता : भोजन करना भी भूल जाएगा।
दादाश्री : उस समय उसका उपयोग पैसे गिनने में ही रहेगा। एक बनिये के बेटे को नौकरी में छह सौ की तनख़्वाह मिलती थी। उससे मैंने पूछा कि, 'तनख़्वाह में एक-एक के नोट तुझे दें तो तू क्या करेगा?' तब उसने कहा कि, 'मैं गिनकर लूँगा!' 'अरे, छह सौ नोट तू कब गिनेगा? इसका अंत कब आएगा?' इतने में कोई शिकारी हो, तो वह ऐसे झपटकर चलता बनेगा, और ये रुपये गिनने में तू उपयोग रखे तो, तेरा कितना टाइम बिगड़े? बहुत हुआ तो पाँच रुपये कम निकलेंगे, और क्या होगा? और ये लोग कम नोट देंगे ही नहीं न! सब गिन-गिनकर लेते हैं, ऐसा वे जानते