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आप्तवाणी-६
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है। निरंतर सिर्फ शुक्लध्यान ही रहता हो तो दूसरा जन्म होगा ही नहीं, परंतु अक्रम मार्ग में शुक्लध्यान और धर्मध्यान दोनों रहते हैं। अंदर शुक्लध्यान रहता है और बाहर धर्मध्यान रहता है। धर्मध्यान किससे होता है?
'दादाजी' के कहे अनुसार आज्ञा का पालन करना होता है इसलिए। आज्ञा पालन करना, वह शुक्लध्यान का काम नहीं है, वह धर्मध्यान का काम है। इसलिए धर्मध्यान के कारण एक या दो जन्मों जितना चार्ज होता है।