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आप्तवाणी-६
प्रश्नकर्ता : ये दो वाक्य कहनेवाला कौन है? दादाश्री : वह तो जो मृत्यु से परे है, उसी के होंगे न! प्रश्नकर्ता : वह प्रतिष्ठित आत्मा कहलाता है?
दादाश्री : नहीं, प्रतिष्ठित आत्मा तो मृत्युवाला है, यह सब प्रज्ञा का काम है ! प्रतिष्ठित आत्मा मरनेवाला है, वह तो बोलेगा ही नहीं न ऐसा?
प्रश्नकर्ता : जिसमें प्रज्ञा उत्पन्न नहीं हुई हो, सभी में प्रज्ञा तो उत्पन्न नहीं हुई होती है, फिर भी ऐसा बोले, तो कौन बोलता है?
दादाश्री : वह मरनेवाले से अलग ही होता है। मरनेवाला खुद ऐसा नहीं कहता कि मैं मर जाऊँ, वहाँ पर बुद्धि का कुछ भाग ऐसे भाववाला होता है ! स्थितप्रज्ञा की दशा का कहते हैं न, वह भाग, लेकिन किसी को ही ऐसा विचार आता है, सभी को तो नहीं आता न!
___ आपका बिगाड़नेवाला कौन? आपको जल्दबाज़ी हो और 'जल्दी जल्दी खाना परोसो' ऐसा कहते हो, तो दाल निकालने जाते हुए और पूरी पतीली गिर जाए, वहाँ पर क्या दशा होगी? उस घड़ी ज़रा जागृत रहना है। क्योंकि जो आपके लिए बनानेवाले हैं, उन्होंने आपको खिलाने के लिए बनाई है। उसमें बनानेवाले की भूल नहीं है। फिर भी आप क्या कहते हो? कि 'तूने ढोल दी।' अरे, उन्होंने नहीं ढोली है, उन्होंने तो तेरे लिए बनाई है। ढोलनेवाली शक्ति दूसरी है, परंतु हुआ इनके माध्यम से।
इसलिए आपका कोई बिगाड़ सके, ऐसा नहीं है। इस दुनिया में किसी में बिगाड़ने की शक्ति ही नहीं है। इस दुनिया में कोई ऐसा जन्मा ही नहीं कि कोई हमारा बिगाड़ सके।
ये तो सारी कुदरती शक्तियाँ काम कर रही हैं। जब कि ये लोग मुझे कहते हैं कि ये चोर लोग क्यों आए होंगे? इन सब जेब काटनेवालों की क्या ज़रूरत है? भगवान ने किसलिए उन्हें जन्म दिया होगा? अरे, वे नहीं होंगे तो तुम्हारी जेब कौन खाली करेगा? भगवान खुद आएँगे? आपका चोरी का