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आप्तवाणी-६
प्रश्नकर्ता : ये भजन गाते हैं, उस समय खुद शब्द बोलता है लेकिन भाव कहीं और हों तो वह क्या कहलाता है?
दादाश्री : वह सब ‘मिकेनिकल' कहलाता है। 'मिकेनिकल' यानी उपयोगरहित और उपयोगपूर्वक कार्य हो उसे जागृति कहते हैं।
उपयोग दो प्रकार के : एक शुभ उपयोग होता है और दूसरा शुद्ध उपयोग होता है। जगत् में शुद्ध उपयोग नहीं होता, परंतु शुभाशुभ उपयोग होता है, और किसी का अशुद्ध उपयोग भी होता है। इस अशुभ उपयोग को और अशुद्ध उपयोग को उपयोग नहीं माना जाता। शुभ उपयोग को और शुद्ध उपयोग को ही उपयोग माना जाता है। अन्य (अशुभ और अशुद्ध को) तो सिर्फ पहचानने के लिए ही उपयोग कहा जाता है कि यह किस प्रकार का उपयोग है। अशुभ उपयोग और अशुद्ध उपयोग, वे सब 'मिकेनिकल' हैं और शुभ उपयोग में अंश जागृति होती है। इस भव का और परभव का हित किसमें है, ऐसी जागृति रहती है।
खुद के घर के बारे में, व्यवसाय के बारे में, अन्य किसी चीज़ के बारे में जागृति होती है, परंतु वह जागृति उतने में ही बरतती है। और बाकी सब जगह सोता है। परंतु वास्तव में इस जागृति को भी 'मिकेनिकल' ही कहा जाता है।
‘मिकेनिकल' कब छूटता है? खुद का हित और अहित, दोनों निरंतर जागृति में रहें, तब ‘मिकेनिकल' छूटता है।
प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा! हित और अहित, दोनों भौतिक में समाते हैं न?
दादाश्री : ऐसा नहीं है, शुभमार्ग में भी जागृति कहा जाता है। परंतु वह कब? इस भव में और परभव में लाभकारी हो वैसा शुभ हो, तब उसे जागृति कहते है। नहीं तो वो दान दे रहा हो, सेवा कर रहा हो, परंतु आगे की जागृति उसे कुछ भी नहीं होती। जागृतिपूर्वक सभी क्रियाएँ करे तो अगले जन्म का हित होगा, नहीं तो सबकुछ नींद में ही चला जाएगा। यह दान दिया, वह सब नींद में गया! जागते हुए चार आने भी जाएँ तो