________________
आप्तवाणी- -६
कारण- कार्य की श्रृंखला
प्रश्नकर्ता: देह और आत्मा के बीच संबंध तो है न?
६३
दादाश्री : यह जो देह है, वह आत्मा का परिणाम है। जो-जो कॉज़ेज़ किए, उनका यह इफेक्ट है। कोई आपको फूल चढ़ाए तो आप खुश हो जाते हो और आपको गाली दे तो आप चिढ़ जाते हो । उस चिढ़ने में और खुश होने में बाह्यदर्शन की क़ीमत नहीं है, अंतरभाव से कर्म चार्ज होते हैं। उसका फिर अगले जन्म में 'डिस्चार्ज' होता है, उस समय वह इफेक्टिव है। ये मन-वचन-काया तीनों इफेक्टिव हैं। इफेक्ट भुगतते समय दूसरे नये कॉज़ेज़ उत्पन्न होते हैं, जो अगले जन्म में वापस इफेक्ट बनते हैं। इस तरह कॉज़ेज़ एन्ड इफेक्ट, इफेक्ट एन्ड कॉज़ेज़ ऐसी श्रृंखला निरंतर चलती ही रहती है ।
सिर्फ मनुष्यजन्म में ही कॉज़ेज़ बंद हो सकें, ऐसा है । दूसरी सभी गतियों में तो सिर्फ इफेक्ट ही है। यहाँ पर कॉज़ेज़ और इफेक्ट दोनो हैं I हम आपको ज्ञान देते हैं, तब कॉज़ेज़ बंद कर देते हैं, फिर नये इफेक्ट नहीं होते हैं।
प्रश्नकर्ता : इफेक्टिव रहना, वह अच्छा है या इफेक्टिव मिट जाए, वह अच्छा है?
दादाश्री : ऐसे मिटाए तब तो इन सभी लोगों को किसी चीज़ की ज़रूरत ही नहीं रहे। ज़रा सी दवाई चुपड़ी कि मिट जाएगा। ठंड नहीं लगेगी, ताप नहीं लगेगा, इसलिए पंखे, कपड़े किसी की ज़रूरत नहीं रहेगी।
प्रश्नकर्ता : इस जन्म-मरण के कारणों के जो इफेक्ट हैं, वे निकल जाएँ तो अच्छा या रहें तो अच्छा?
दादाश्री : इफेक्ट इस तरह कभी भी नहीं निकल सकते। इफेक्ट अर्थात् परिणाम। परिणाम को हटाया नहीं जा सकता, परंतु कॉज़ेज़ को बंद किया जा सकता है ।