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[८] असरों को स्वीकार करनेवाला प्रश्नकर्ता : अंत:करण के कौन-से भाग को पहले इफेक्ट होता है?
दादाश्री : पहले बुद्धि को इफेक्ट होता है। बुद्धि यदि हाज़िर नहीं हो, तो असर नहीं होता।
प्रश्नकर्ता : भारी विकट संयोगों में अंत:करण से आगे कौन-से भाग को इफेक्ट होता है?
दादाश्री : आगे किसी को असर नहीं होता। प्रश्नकर्ता : 'प्रतिष्ठित आत्मा' को होता है?
दादाश्री : वह 'प्रतिष्ठित आत्मा' ही कहलाता है। अंत:करण में क्रोध-मान-माया-लोभ, मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार, उन सभी को 'प्रतिष्ठित आत्मा' ही कहते हैं।
प्रश्नकर्ता : तो फिर 'प्रतिष्ठित आत्मा' और अंत:करण, उन्हें अलग क्यों किया?
दादाश्री : अलग नहीं कहा है। 'शुद्धात्मा' के अलावा पूरा ही 'प्रतिष्ठित आत्मा'। फिर पूछो, तब अंत:करण अलग, इन्द्रियाँ अलग, मन अलग, ऐसे जवाब तो देना पड़ता है न!
प्रश्नकर्ता : बुद्धि को असर होता है, तो मन को असर नहीं पहुँचता?
दादाश्री : बुद्धि में से मन को पहुँचता है। यदि बुद्धि बीच में नहीं होगी तो कोई भी असर ही नहीं होगा।