Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवती सूत्रे
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गौतमः पुनः पुच्छति - ' जया गं भंते!' इत्यादि । हे भदन्त । यदा खलु जंबुडीवे दीवे' जम्बूद्वीपे द्वीपे ' दाहिणडे ' दक्षिणार्थे दक्षिणदिग्भागे अठ्ठारसमुहुत्ताणंतरे' अष्टादशमुहूर्तानन्तरः किञ्चिद्विशेषोनपलचतुष्टयर हिताष्टादशमुहूर्तात्मकः दिवसे भवइ' दिवसो भवति, ' तयाणं तदा खल ' उत्तरे' उत्तरदिग्भागे ' अट्टारसमुहुत्ताणंतरे ' अष्टादशमुहूर्तानन्तरः उक्त विशेष काळरूपः ' दिवसे भवइ ' दिवसो भवति उभयसूर्यसद्भावात् अथ च 'जया णं ' यदा खल्ल ' उत्तरड़े ' उत्तरार्द्ध 'अठ्ठारसमुहुत्ताणंतरे ' अष्टादशमुहूर्तानन्तरो 'दिवसे भव' दिवसो भवति, 'तया णं' तदा खलु 'जंबुद्दीवे दीवे ' जम्बूद्वीपे द्वीपे ' मंदरस्स ' मन्दरस्य ' पव्वयस्स ' पर्वतस्य ' पुरित्थमे णं' पौरस्त्ये खलु पूर्वभागे ' पच्चत्थिमे णं' पश्चिमे च 'साइरेगा' सातिरेका किञ्चिद् विशेषोनपलचतुष्टयाधिका 'दुवालस मुहुत्ता' द्वादशमुहूर्ता ' राई भाई' रात्रिभवति किम् ?
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अब गौतम स्वामी प्रभु से पूछते हैं कि ( जया णं भंते ) हे भदन्त ! जब (जंबुद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप नाम के द्वीप में (दाहिणड्डे) दक्षिणार्ध दक्षिदिग्भाग में (अट्ठारस मुहुत्ताणंतरे) ४चार पल कम १८ अठारह मुहूर्त्त का (दिवसे भवइ) दिन होता है, ( तया णं) उस समय (उत्तरे) उत्तरदिभाग में भी (अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे) ४ चार पल कम १८ अठारह मुहूर्त्त का (दिवसे भव) दिवस होता है। क्यों कि दोनों सूर्यो का सद्भाव रहता है । और ( जया णं उत्तरड्डे) जब उत्तरार्ध में (अट्ठार समुह ताणंतरे दिवसे भवइ) ४ चार पलं कमर ८अठारह मुहूर्त्त का दिवस होता है (तया णं) तब (जंबूद्दीवे दीवे) जंबूद्वीप नाम के द्वीप में ( मंदरस्स पव्वयस्स) मन्दर पर्वत के ( पुरत्थिमेणं) पूर्व दिग्भाग में एवं (पञ्चस्थिमेणं ) पश्चिमदिग्भाग में (साइरेगा) किश्चित विशेष ऊन चार पल अधिक (
હવે ગૌતમ સ્વમીનાં ખીજા પ્રશ્નો અને મહાવીર પ્રભુ દ્વારા અપાયે ! उत्तरौ नीथे आपवामां आवे छे - ( जयाणं भंते ! ) हे लहन्त ! न्यारे ( जं' - ही दीवे ) यूद्वीप नामना द्वीपना (दाहिणड्ढे) दक्षिणाधमां (दृक्षिषुद्वित्रिभागभां) (अट्ठारस मुहुत्ताणतरे) १८२मढारभुत रतां ४२ पणन्यून प्रभाणुना " दिवसे भवइ " हिवस थाय छे, " तयाण " त्यारे " उत्तरे " उत्तरदृग्विलाभांशु शु' 'अट्ठारसमुत्ताणतरे दिवसे भवइ १८मदार भुहूर्त उश्ता ४२ પળ ન્યૂન પ્રમાણના દિવસ થાય છે ? ( બન્ને સૂર્યનું અસ્તિત્વ હાવાથી આવું जनी राई छे ) रमने ल्यारे भावु भने छे " तयाणं " त्यारे शुं "ज'धूदीवे दीये " यूद्रीय नाभेना द्वीपसां "मंदुरस्त पव्वयस्स पुरस्थिमेण पञ्चत्मिमेण " पूर्व जिलागमां ने पश्चिमहिञ्जिलागमां “साइरेना दुवाह
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श्री भगवती सूत्र : ४