________________
आवश्यक दिग्दर्शन अहिंसा व्रत की रक्षा के लिए निम्नलिखित पाँच कार्यों का त्याग अवश्य करना चाहिए
(१) जीवों को मारना, पीटना, त्रास देना। (२) अग-भंग करना, विरूप एवं अपंग करना । (३) कटोर बन्धन से बाँधना, या पिंजरे आदि में रखना । (४) शक्ति से अधिक भार लादना या काम लेना । (५) समय पर भोजन न देना, भूखा-यामा रखना ।
२-सत्य व्रत असत्य का अर्थ है, झूट बोलना । केवल बोलना ही नहीं, झूठा सोचना और झूठा काम करना भी असत्य है । अनन्तकाल से आत्मा असत्यमय होने के कारण दुःख उठाती या रही है, क्लेश पाती या रही है । यदि इस दुःख और क्लेश की परम्परा से मुक्ति पानी है तो असत्य का त्याग करना चाहिए । भगवान् महावीर ने सत्य को भगवान् कहा है। भगवान् सत्य की सेवा में प्रात्मार्पण किए बिना अखएड आत्मस्वरूप की उपलब्धि नहीं हो सकती। ___ गृहस्थ साधक को सत्य की साधना के लिए प्रतिज्ञा लेनी होती है कि मैं जान बूझ कर झूटी माक्षी श्रादि के रूप में मोटा झूठ न स्वयं बोलूँगा, और न दूसरों से बुलवाऊँगा।
सत्य व्रत की रक्षा के लिए, निम्नलिखित कार्यों का त्याग करना चाहिए
(१) दूसरों पर झूठा आरोप लगाना। (२) दूसरों की गुप्त बातों को प्रकट करना । (३) पत्नी आदि के साथ विश्वासघात करना। (४) बुरी या झूटी मलाह देना । (५.) भूठी दस्तावेज बनाना, जालसाजी करना।