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आवश्यक के पर्याय पर्याय, अर्थान्तर का नाम है । एक पदार्थ के अनेक नाम परस्पर पर्यायवाची कहलाते हैं, जैसे-जल के वारि, पय, सलिल, नीर, तोय आदि पर्याय हैं । प्रस्तुत में प्रश्न है कि आवश्यक के कितने पर्याय हैं ?
अनुयोग द्वार-सूत्र में आवश्यक के अवश्य-करणीय, ध्रुव-निग्रह, विशोधि, न्याय, अाराधना, मार्ग आदि पर्याय बताए गए हैं
'श्रावस्सयं अवस्स-करणिज्ज,
धुवनिग्गहो पिसोही य । अज्मयण-छक्कवग्गो,
नाओ आराहणा मग्गो।' १. आवश्यक अवश्य करने योग्य कार्य आवश्यक कहलाता है। सामायिक आदि की साधना साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका के द्वारा अवश्य रूप से करने योग्य है, अतः आवश्यक है। 'अवश्यं क्रियते श्रावश्यकम् । ___२. अवश्यकरणीय-मुमुक्षु साधकों के द्वारा नियमेन अनुष्ठेय होने के कारण अवश्य करणीय है।
३. ध्रुवनिग्रह-अनादि होने के कारण कर्मों को ध्रुव कहते हैं । कर्मों का फल जन्म जरा मरणादि संसार भी अनादि-है, अतः वह भी