Book Title: Aavashyak Digdarshan
Author(s): Amarchand Maharaj
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 202
________________ श्रावश्यक दिग्दर्शन ऐब कसाँ मनिगरो यहसाने खेश; दीदा फेरोवर बगरी बाने खेश । अर्थात् दूसरों के दोषों और अपने गुणों को मत देखो। जन दूसरों के दोषों की तरफ दृष्टि जाय, अपने को देखो। -फरीदुद्दीन अत्तार जे हस्तौ ता बुचद बाकी बरो शैन, ने आयद इल्मे आरिफ सूरते ऐन । अर्थात् जब तक जीवन का एक भी धब्बा शेष रहता है, तब तक शानी का ज्ञान वास्तविक नहीं कहा जा सकता। -शब्सतरी दुनिया भर के पाप दूर हो सकते हैं, यदि उनके लिए सच्चे दिल से अफसोस करले। --मुहम्मद साहब जब तू यज्ञ में बलि देने जाय, तब तुझे याद आए कि तेरे और तेरे भाई के बीच बर है, तो वापस हो जा और समझौता कर । हे पिता! इनको ( मुझे सूली पर चढ़ाने वालों को) क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि हम क्या कर रहे हैं ? -ईसा मसीह - -

Loading...

Page Navigation
1 ... 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219