Book Title: Aavashyak Digdarshan
Author(s): Amarchand Maharaj
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 216
________________ - - [ उपाध्याय पं० मनि की अमर जी महाराज ] प्रस्तुत ग्रन्थ आध्याय जी ने अपने गम्भीर अध्ययन, गहन चिन्तन और सूक्ष्म अनुवीक्षण के बल पर तैयार किया है। सामायिक सूत्र पर ऐसा सुन्दर विवेचन एवं विश्लेषण किया गया है कि सामायिक का लक्ष्य तथा उद्देश्य स्पष्ट हो जाता है। भूमिका के रूप में, जैन धर्म एवं जैन संस्कृति के सूक्ष्म तत्वो पर आतोचनात्मक एक सुविस्तृत निबन्ध भी आप उसमें पढ़ेगे। ___ इस में शुद्ध मूल पाठ, सुन्दर रूप में मूलार्थ और भावार्थ, संस्कृत प्रेमियों के लिए छायानुवाद और सामायिक के रहस्य को समझाने के लिए विस्तृत विवेचन किया गया है। मूल्य २॥) सत्य-हरिश्चन्द्र [उगध्याय पं० मुनि श्री अमरचन्द्रजो महागज ] __ 'सत्य हरिश्चन्द्र' एक प्रबन्ध-काव्य है। राजा हरिश्चन्द्र की जीवनगाथा भारतीय जीवन के अणु अणु मे व्याप्त है। सत्य परिपालन के लिए हरिश्चन्द्र कैसे-कैसे कष्ट उठाता है और उसको रानी एवं पुत्र रोहित पर क्या क्या आपदाएँ आती हैं, फिर भी सत्यप्रिय राजा हरिश्चन्द्र सत्यधर्म का पल्ला नहीं छोड़ता, यही तो वह महान् आदर्श है, जो भारतीयसंस्कृति का गौरव समझा जाता है । कुंशल काव्य-कलाकार कवि ने अपनी साहित्यिक लेखनी से राजा हरिश्चन्द्र, रानी तारा और राजकुमार रोहित का बहुत ही रमणीय चित्र खींचा है । काव्य की भाषा सरल और सुबोध तथा भावाभिव्यक्ति प्रभावशालिनी है । पुस्तक की छपाई-सफाई सुन्दर है । सजिल्द पुस्तक का मूल्य १॥)।

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