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प्रश्नोत्तरी प्रश्न-प्रतिक्रमण तो आवश्यक का एक अङ्ग विशेष है, फिर क्या कारण है कि आज कल समस्त आवश्यक क्रिया को ही प्रतिक्रमण कहते हैं ?
उत्तर-यद्यपि प्रतिक्रमण श्रावश्यक का विशेष अङ्ग है। तथापि सामान्यतः सम्पूर्ण आवश्यक को जो प्रतिक्रमण कहा जाता है, वह रूढि को लेकर है । श्राज कल प्रतिक्रमण शब्द सम्पूर्ण श्रावश्यक के लिए रूढ हो गया है । सामायिक श्रादि आवश्यको की शुद्धि प्रतिक्रमण के विना होती नहीं है, अतः प्रतिक्रमण मुख्य होने से वही आवश्यक रूप में प्रचलित है।
प्रश्न-प्रतिक्रमण प्राकृत भाषा में ही क्यों हो? यदि प्रचलित लोकभाषा मे अनुवाद पढा जाय तो अर्थ का ज्ञान अच्छी तरह हो सकता है ?
उत्तर-प्राचीन प्राकृत पाठों में इतनी गम्भीरता और उच्च भावना है कि वह श्राज के अनुवाद में पूर्णतया उतर नहीं सकती है | कभी-कभी ऐसा होता है कि मूलभावना का स्पर्श भी नहीं हो पाता। दूसरी बात यह है कि लोक भाषाओं में हुए अनुवादों को साधना का अङ्ग बनाने से धार्मिक क्रिया की एकरूपता नष्ट हो जाती है। सांवत्सरिक आदि पर्व विशेष पर यदि सामूहिक रूप में विभिन्न भाषा-भाषी प्रतिक्रमण करने