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प्रतिक्रमण : जीवन की डायरी
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डायरी मे लिख छोडता था और फिर उस पर चिन्तन-मनन किया करता था । प्रति सप्ताह जोड़ लगाया करता था कि इस सप्ताह में पहले सप्ताह की अपेक्षा भूले अधिक हुई हैं या कम ? इस प्रकार उसने प्रति सप्ताह भूलों को जॉचने का, उनको दूर करने का और पूर्व की अपेक्षा श्रागे कुछ अधिक उन्नति करने का अभ्यास चालू रक्खा था। इसका यह परिणाम हुआ कि वह अपने युग का एक श्रेष्ठ, सदाचारी एवं पवित्र पुरुष माना गया ! उस की डायरी से हमारा प्रतिक्रमण कही अधिक श्रेष्ठ है ! यह श्राज से नहीं, हजारों-लाखों वर्षों से जीवन की डायरी का मार्ग चला आ रहा है ! एक दो नहीं, हजारों-लाखो साधकों ने प्रतिक्रमणरूप जीवन-डायरी के द्वारा अपने आपको सुधारा है, पशुत्व से ऊँचा उठाया है, वासनानो पर विजय प्राप्त कर अन्त में भगवत्पद प्राप्त किया है! आवश्यकता है, सच्चे मन से जीवन की डायरी के पन्ने लिखने की और उन्हें जॉचने-परखने की।