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प्रतिक्रमण : मिच्छामि दुक्कड
होना अत्यन्त आश्यक है। दिल में घुडी रखकर कुछ भी सफलता • नहीं मिल सनी । इस प्रवार पश्चात्ताप के उज्ज्वल प्रकाश में यदि ___ मन, वाणी और कर्म से मिच्छामि दुक्कडं दिया जाय तो वह कदापि
निष्फल नहीं सकता । वह पाप की कालिमा को धोएगा, और अवश्य भोएगा।