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वन्दन आवश्यक
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लिए रक्खा गया है। विनयाध्ययन मे वृक्ष का रूपक देते हुए कहा है कि-'जिस प्रकार वृक्ष के मूल से स्कन्ध, स्कन्ध से शाखाएँ, शाखाओं से प्रशाखाएँ, और फिर क्रम से पत्र, पुष्प एवं फल उत्पन्न होते हैं, इसी प्रकार धर्म वृक्ष का मून विनय है और उसका अन्तिम फल मोक्ष है। एवं धम्मस्स विणो,
मूलं परमो से मोक्खो । जेण कित्ती सुयं सिग्छ,
निस्सेसं चाभिगच्छ॥