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नहीं सकेंगे, जो रूढ़िवादी हैं। भविष्य उसी धर्म का है, जो जाग्रत है और जाग्रति का पाठ पढ़ाता है। सचमुच ऐसा ही धर्म हमारे लिए उपयोगी है। अणुव्रत जाग्रत धर्म है, जीवित धर्म है। अणुव्रत-पथ अपनाकर आप अपने जीवन में आत्मशांति का अनुभव कर सकते हैं, उसे पवित्रता से भर सकते हैं। आत्मशांति की अनुभूति और पवित्रता की प्राप्ति से बढ़कर जीवन का
और क्या सौभाग्य हो सकता है! आप अपने-अपने सौभाग्य को जगाएंगे-ऐसी आशा करता हूं।
भादरा
१४ फरवरी १९६६
अध्यात्म की खोज ।
१५.
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