________________
के दिव्य पथ का अनुगामी बना देगा, दिव्य ज्ञान का स्वामी बना देगा, आत्मा के रूप में जीवन का शाश्वत प्रकाश सौंप देगा।
योग तो जीवन में जन्नत का द्वार खोलता है। जैसे हिमालय की संजीवनी बूटी से राम-लक्ष्मण की मूर्छा दूर हो गई, वैसे ही योग से अनगिनत लोगों की बीमारियाँ कट गईं। लोगों ने फिर से जीवन की नई ऊर्जा, नई उमंग, नई चेतना प्राप्त की। आप चाहे जिस उम्र के हों, चाहे जिस वर्ग के हों, चाहे जिस परिस्थिति में हों, आप योग अपनाइए, आपको शर्तिया फ़ायदा होगा। दुनिया में योग ही एक ऐसी औषधि है जिसका आज तक कभी कोई नकारात्मक परिणाम प्राप्त नहीं हुआ। योग हमारे लिए भोजन जितना ही ज़रूरी है। आहार, विहार और निहार - व्यक्ति के स्वस्थ रहने के तीन आयाम हैं । आहार अर्थात् सात्त्विक संतुलित भोजन। विहार अर्थात् प्रतिदिन टहलना या व्यायाम। निहार अर्थात् निवृत्त होना। आहार, विहार और निहार ये तीनों यदि समुचित होते हैं तो व्यक्ति ख़ुद अपना चिकित्सक होता है। उसे किसी डॉक्टर की ज़रूरत नहीं रहती।
आज पूरे विश्व में योग के प्रति अद्भुत उत्सुकता है। मुझे जानने और सुनने को मिला कि चीन, जापान, वियतनाम में जो योग-शिविर लग रहे हैं उसमें शामिल होने वाले शिविरार्थी को एक-एक लाख रुपए देने होंगे। उसमें भी इतने लोग शामिल हो गए हैं कि आयोजकों को प्रवेश बन्द करना पड़ रहा है और अगले सत्र में शामिल होने का आश्वासन दिया जा रहा है। व्यायाम कैसे किया जाए, साँस कैसे ली जाए, ध्यान कैसे किया जाए इसे सीखने के लिए एक लाख रुपए; और लोग इतना पैसा देने को तैयार हैं बशर्ते उन्हें जीवन जीने का ऊर्जापूर्ण तरीका मिल जाए।
___ योग में हम तीन चीजों को शामिल करेंगे - आसन, प्राणायाम और ध्यान। इन तीनों का अभ्यास करने के लिए प्रतिदिन 1 घंटे की आहुति आवश्यक है। 20 मिनट योगासन के लिए, 20 मिनट प्राणायाम के लिए और 20 मिनट ध्यान के लिए समर्पित किए जाएँ। यह 1 घंटे का योगाभ्यास आपके आने वाले 24 घंटों को स्वस्थ, सक्रिय
और ऊर्जावान बनाएगा। जो लोग दिनभर कुर्सी या सोफे पर बैठे रहते हैं, वे यदि योग नहीं करेंगे तो उम्र से पहले ही बूढ़े हो जाएंगे। पेटू या मोटू आपको जहाँ-तहाँ मिल जाएँगे, घुटने, कमर, पीठ, गर्दन के दर्द के रोगी इतने बढ़ गए हैं कि ज़मीन पर पालथी लगाकर बैठना अब किसी तपस्या से कम नहीं है। आख़िर इन सबके पीछे रीजन क्या है? रीजन एक ही है - लोग भोजन तो भरपूर केलौरी का करते हैं, पर सुबह न तो टहलते हैं, न व्यायाम करते हैं, एक गिलास पानी भी पीना हो तो हाजरिया चाहिए। उठकर वह भी नहीं पिया जाता है। अब शरीर से कुछ मेहनत करोगे नहीं
| 25
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org