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सके। इन्हें स्वस्थ सक्रिय रखने के लिए ही योग है।
__ अभी हम शरीर के तल पर योग के परिणाम देख रहे हैं। योग का चौथा परिणाम है हृदय-प्रणाली को स्वस्थ बनाना। नियमित योगाभ्यासी के हृदय में अवरोध नहीं आएँगे। क्योंकि नियमित योग से नाड़ी संस्थान सुचारु रूप से कार्य करेगा और हृदय में रुकावट नहीं आने देगा। नियमित योग से रक्त प्रवाह के दबाव में एक संतुलन रहेगा और उच्च व निम्न रक्तचाप की संभावना कम होगी। अगर किसी को उच्च व निम्न रक्तचाप है तो उसे नियमित रूप से योगासन करने चाहिए। तीन-चार माह बाद आप पाएँगे कि या तो बीमारी जड़ से चली गई या उस पर नियंत्रण हो गया है। अगर वह दवा ले भी रहा है तो भी रोग में वृद्धि नहीं हो रही है, उस पर एक अंकुश लग गया है। योग से हृदय-तंत्र में मज़बूती आती है, ताक़त बनती है। हृदय रूपी पंपिंग स्टेशन बिल्कुल दुरुस्त होता है।
आपने देखा होगा हृदय लगातार धड़कता रहता है। हम कुछ करें या न करें हृदय का काम जारी रहता है। इंसान का मस्तिष्क सो सकता है, पर हृदय कभी नहीं सोता। उसके मस्तिष्क को निकालकर भी व्यक्ति को जीवित रखा जा सकता है, पर हृदय को निकाल देने पर उसे जीवित नहीं रखा जा सकता है। तभी तो धर्मशास्त्र कहते हैं कि इंसान की आत्मा हृदय के क्षेत्र में व्याप्त रहती है। देखा जाए तो शरीर के सभी अंग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। कभी कोई अंग निष्क्रिय हो जाता है तो जानना चाहिए कि नाड़ी-तंत्र में अवरोध आ गया होगा। हमारा शरीर परमात्मा की महान कृति है। वह नौ माह में एक पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण कर देता है और डॉक्टर को टूटी हुई हड्डियाँ जोड़ने में कम-से-कम डेढ़ माह लग जाता है। कभी-कभी तो वर्ष दर वर्ष ऑपरेशन करते रहते हैं। परमात्मा केवल एक चीज़ पूर्ण विकसित नहीं देता वह है बुद्धि। बुद्धि देता ज़रूर है, पर सूक्ष्म मात्रा में। उसका तो जीवन भर विकास करना होता है। व्यक्ति अगर बुद्धि का विकास नहीं करता तब भी प्रभु इतनी बुद्धि तो प्रदान करता ही है कि वह अपना जीवन-यापन कर सके। वह भाषा भी सीख जाता है, चलने-फिरने भी लगता है यहाँ तक कि इतना कमा भी लेता है कि खुद का पेट भर सके। यहाँ तक कि अनपढ़ होकर भी वह दूसरों को सलाह तो दे ही सकता है। इस तरह प्रकृति पूर्ण बनाकर तो भेजती है, लेकिन हम अपने पुरुषार्थ द्वारा अपने दीप को कैसे ज्योतिर्मय कर सकते हैं इसका प्रयास करते हैं।
योग का एक अन्य कार्य पाचन तंत्र को दुरुस्त करना है। आमाशय, पित्ताशय, किडनी, पैंक्रिआज आदि सभी पर व्यायाम का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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