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कैसे करें हृदय की गुफा में प्रवेश
मेरे प्रिय आत्मन्!
पुरानी कहानी है - हज़ारों वर्ष पूर्व परमात्मा का मंदिर गहन सागर के बीच डूब गया था। अनेक बार ऐसे अवसर आए कि लोगों को वह मंदिर तो दिखाई नहीं दिया, पर घंटियों के सुर लोगों को सुनाई दिए। जब-जब घंटियाँ बजतीं लोग उस मंदिर के दर्शन करने को उत्सुक होते लेकिन जैसे ही वे सागर के किनारे पहँचते घंटियों का स्वर आना बंद हो जाता। युग बीत गए, लोगों को परमात्मा के मंदिर की वे घंटियाँ अक्सर सुनाई दिया करतीं। एक बार उन घंटियों का स्वर फिर उठा और हम भी उस आवाज़ को सुनकर निकल पड़े लेकिन जैसे ही सागर के किनारे पहुँचे तो देखा कि अब न तो घंटियों की आवाज़ आ रही है, न ही मंदिर का शिखर दिखाई दे रहा है। सागर के किनारे केवल लहरें, हवाएँ, सांय-सांय की आवाज़ ही चलती नज़र आई। . ये बात तब की है जब हज़ारों साल पहले ऋषि-मुनियों, महात्माओं, बुद्ध और महावीर जैसे लोगों को इसी तरह मंदिर की घंटियों की आवाज़ सुनाई दी थी जिससे प्रेरित होकर उन्होंने अभिनिष्क्रमण किया और वास्तविक सत्य की खोज के लिए
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