________________ पतंजलि के योग-सूत्र 'रहस्य-का-तर्कशास्त्र' हैं। आप उसकी चाहे जितनी पर्ते खोलें फिर भी कुछ है जो अनकहा रह जाता है। श्री चन्द्रप्रभ ने इन रहस्यों को बड़ी मधुरता के साथ महावीर, बुद्ध, क्राइस्ट, जेन, सूफी आदि परम्पराओं के साथ जोड़कर बड़ी सहजता और संजीदगी से प्रस्तुत किया है। अगर वे रहस्यदर्शी दार्शनिक हैं तो प्रेमपूर्ण हृदय के देवता भी हैं। श्री चन्द्रप्रभ भारतीय एवं मानवीय जीवनदृष्टि के संवाहक हैं / वे जीवन के शाश्वत सत्यों से स्वयं रूबरू होकर हमें भी रूबरू करवा रहे हैं / सूरज की किरण बनकर हमारे भीतर आशा और विश्वास का सवेरा जगाते हैं, तो चंदा की चाँदनी बनकर हमारे अज्ञान के अंधकार को दूर करते हैं। वे अपनी आत्मीयता में डुबोते हैं और बहुत सरलता से पार उतरने के लिए पतवार थमा देते हैं। वे हमें सच्चाई का सामना करने का पथ और साहस प्रदान करते हैं / योग का प्रवेश-द्वार विकट है / यहाँ कठोर अनुशासन है, जिसमें योग नौका है और उतारने वाला गुरु है। परम पूज्य निमंत्रण दे रहे हैं कि आओ और वह बीज बन जाओ जिससे सुगंधित पुष्पों से भरे, फलों से लदे वृक्ष का उदय हो सके। Thesitat Jain Educationteado al For Personal & Private Use Only wwwamenbrary.org 9329