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चाहिए। शुरू में शायद एक साथ इतना न किया जा सके तो बीस श्वासों के बाद एक मिनट का विश्राम ले लें फिर पुनः शुरू कर लें। इस तरह पूरे एक सौ आठ बार कर लें। मुझे लगता है ढीले पड़ चुके या सोए नाड़ी संस्थान को दुरुस्त करने के लिए दस मिनट काफ़ी हैं।
अब जो प्राणायाम में गहराई से प्रवेश करना चाहते हैं उनके लिए भस्त्रिका, कपाल भाति, अनुलोम-विलोम आदि प्राणायाम है। भस्त्रिका का अर्थ है - जैसे भौंगली या पाइप में हवा फेंकने से अंगीठी में अग्नि सुलग जाती है वैसे ही भस्त्रिका हमारे शरीर के अग्नि तत्त्व को जाग्रत करने का माध्यम है। भस्त्रिका में लम्बी गहरी श्वास लेते हैं और लम्बी गहरी श्वास छोड़ते हैं - लयबद्ध तरीके से। दूसरा है कपालभाति - कपाल का अर्थ है दिमाग और भाति का मतलब है तेज - अर्थात् जो दिमाग को तेज करे वह कपाल भाति । यह मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाता है। इसमें श्वास का केवल रेचन ही रेचन किया जाता है। हमारे भीतर जो भी जमा हुआ है -तनाव, अवसाद, चिंता, आर्त-ध्यान, रौद्र ध्यान, कफ, वायु, पित्त जो दिमाग को जाम कर रहे हैं ये सब कपालभाति प्राणायाम करके बाहर निकाल देते हैं। रेचन करते जाना है,श्वास छोड़ते ही जाना है। श्वास अपने आपले ली जाएगी, हमें तो रेचन की ओर ध्यान रखना है क्योंकि श्वास के बिना तो शरीर रह ही नहीं सकता।
प्राणायाम कोई भी करें, उसका प्रारम्भ रेचन से करें।रेचन क्यों करें? क्योंकि भीतर जो दूषित तत्त्व हैं वे पहले बाहर निकल जाएँ और दूषित क्या है? श्वास ही दूषित है, वह कार्बन-डाई-ऑक्साइड है, क्योंकि बिना रेचन किए अगर श्वास भीतर ली तो शुद्ध हवा का इस गैस से मिश्रण हो जाएगा और प्राणवायु भी दूषित हो जाएगी। इसलिए पहले रेचन किया ही जाना चाहिए क्योंकि हम चाहे जितनी साँस बाहर निकाल दें थोड़ी श्वास तो अंदर रह ही जाती है। प्राणायाम करने के पूर्व पूरी साँस बाहर निकाल दें थोड़ी श्वास तो अंदर रह ही जाती है। प्राणायाम करने के पूर्व पूरी साँस निकालें,जो रह गई हैं उसे भी मुँह के ज़रिए बाहर निकाल दें। अब लम्बी गहरी श्वास भरें यह सकारात्मक परिणाम दिखाएगा।
श्वास को तीन चरणों में लिया जाता है - रेचक, पूरक और कुम्भक।कुम्भक का अर्थ होता है - श्वास को रोकना, चाहे भीतर रोकें या बाहर । पूरक है - श्वास लेना और रेचक है -श्वास को बाहर निकालना। जो प्राणायाम की पहले-पहल शुरुआत कर रहे हैं उन्हें कुम्भक नहीं करना चाहिए। कुछ समय पश्चात् कुम्भक आरम्भ कर सकते हैं। प्राणायाम भी कुम्भक-सहित या कुम्भक- रहित किया जा
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