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प्रत्याहार : अन्तर्यात्रा का मार्ग
मेरे प्रिय आत्मन् !
किसी गाँव के मुखिया ने किसी आवश्यक कार्य के लिए दस लोगों को भेजना तय किया और सचेत किया कि वे दसों लोग साथ रहें और वापसी में भी दस के दस वापस आएँ। वे सभी गए, कार्य पूर्ण किया और वापसी में गिना कि नौ ही लोग हैं । सभी ने एक-एक कर गिना लेकिन गिनती नौ पर ही रुक गई। वे हताश और निराश हो गए कि उन्होंने मुखिया का आदेश नहीं माना; और तो और एक व्यक्ति को खो भी दिया। वे मुखिया के पास पहुँचे। मुखिया ने कहा आ गए? तो कहा कि वापस तो आ गए, काम भी पूरा हो गया, पर अफ़सोस कि एक आदमी खो गया। मुखिया ने देखा - दसों लोग खड़े थे। तो पूछा- कौन खो गया? तो जवाब मिला दसवाँ आदमी खो गया। मुखिया ने कहा- सभी तो खड़े हो । कहा- दसवाँ आदमी खो गया है। यह कहते हुए एक आदमी निकला और उसने गिनती शुरू की - एक, दो, तीन........ नौ, देखिए एक आदमी खो गया। वहाँ सभी ने गिनती शुरू की, लेकिन वहाँ दसवाँ आदमी खो गया था। गाँव का मुखिया खड़ा हुआ और उसने उसी से गिनती शुरू की जो गिन रहा था, एक, दो, तीन, चार..... दस । हो गए दस । वे प्रसन्न हो गए, अरे, खुद
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