________________
दूषित पर्यावरण रोग का दूसरा कारण है। अगर हम पेड़ों को काटने से नहीं रोक सकते तो पौधारोपण तो कर ही सकते हैं। अपने घर के आसपास पेड़ लगाएँ ताकि शुद्ध ऑक्सीजन हमें मिल सके। गंदगी न रहने दें। अपने गली, मोहल्ले, नगर को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक रहें। स्वच्छता ही स्वर्ग की जननी है। मेरे कहने से ही सही,25 रुपए खर्च कीजिए और आज ही दो पौधे खरीद लाइए -1.नीम का
और 2. आम का। नीम शुद्ध हवा देगा और आम मीठे मधुर फल देगा। इसे भले ही गुरु दक्षिणा समझकर पूरा कर लें, पर कर लें। आने वाली पीढ़ियाँ तक इससे लाभान्वित होंगी।
तीसरे कारण के रूप में व्यायाम का, योगासन का अभाव, सुबह की सैर न करना भी रोगों की वज़ह होती है। हमें चाहिए कि हम अपने शरीर के प्रति जागरूक रहें। अगर हम अपनी औसत आयु पचहत्तर वर्ष मानते हैं तो यह देह रूपी मित्र हमारे साथ रहेगा। अपने मित्र के साथ मित्रता का ख़याल रखना चाहिए। इसके स्वास्थ्य
और आरोग्य का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए। शरीर स्वस्थ व सुदृढ़ होगा तो हम योग के तीसरे चरण को करने में अर्थात् स्थिर होकर सुखपूर्वक बैठने में समर्थ होंगे। जब आसन स्थिर हो जाएगा तो हम प्राणवायु के द्वारा, प्राणचेतना, शरीर की आंतरिक शक्ति और ऊर्जा को कैसे जाग्रत करें इसकी चर्चा आगामी दिवस को करेंगे। आज के लिए इतना ही.....
नमस्कार!
| 123
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org