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हो जाता है। उसे पुनः हलन-चलन कराने के लिए व्यायाम करना होता है। योगाभ्यास भी एक तरह का शारीरिक व्यायाम है।
___ अस्थि-संस्थान को लचीला बनाने के लिए योगाभ्यास करें। जो बिल्कुल भी योगाभ्यास नहीं करता, घूमने नहीं जाता वह व्यक्ति उम्र से पहले ही बूढ़ा हो जाएगा। उसकी कमर अकड़ जाएगी। रीढ़ की हड्डी के मनके कड़क हो जाएँगे। उनका लचीलापन समाप्त होने लगेगा। उसे झुकने में भी तक़लीफ़ होगी। पहले लोग सुबह उठकर अपने माता-पिता को प्रणाम करते थे, आजकल झुकना तो आता ही नहीं है। मानो कमर अकड़ गई है। अभी अठारह वर्ष की उम्र में यह हाल है तो चालीस की उम्र में तो झुक ही न पाओगे। घुटनों में दर्द होगा, पीठ अकड़ चुकी होगी क्योंकि हड्डियों का लचीलापन समाप्त हो चुका होगा। इसलिए योगाभ्यास ज़रूरी है। सुबह टहलने जाएँ तो थोड़ा तेज गति से ताकि पूरे शरीर से पसीना बह निकले। इससे शरीर के विकार और दोष दूर होते हैं। हमारी देह में लाखों रोम-छिद्र हैं जिनके द्वारा पसीने के रूप में देह की गंदगी बाहर निकलती रहती है। अस्थि-संस्थान को स्वस्थ रखना योग का दूसरा परिणाम है।
योग का तीसरा परिणाम है हमारे नाड़ी-संस्थान को ठीक करना। आर्टरी, नर्स और वेन्स ये तीन नाड़ी-संस्थान हैं। आर्टरीज़ हृदय से शुद्ध रक्त को पूरे शरीर में प्रवाहित करती है। वेन्स पूरे शरीर के अशुद्ध रक्त को फिल्टर होने के लिए पुनः हृदय में पहुँचाती है और नजं शरीर में होने वाली अनुकूल और प्रतिकूल संवेदनाओं को ग्रहण करती है। योग का कार्य इन तीनों को दुरुस्त करना है। इनकी संवेदनशीलता को बढ़ाना है। शुद्ध और अशुद्ध रक्त को जो नाड़ियाँ थामती हैं उनमें लचीलापन लाना, उन्हें स्वस्थ बनाना है। योग की भाषा में हमारे शरीर में तीन नाड़ियाँ हैं - इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना। योग का कार्य इन तीनों नाड़ियों को स्वस्थ बनाना है। ये नाड़ियाँ मस्तक से ठेठ बैठक तक जो मेरुदण्ड है उससे जुड़ी हुई हैं। इन नाड़ियों का पूरी देह में विस्तार होता है। हमारे शरीर में इतनी नाड़ियाँ हैं कि अगर इन्हें आपस में जोड़ दिया जाए तो ये चार किलोमीटर दूर तक चली जाएँगी।अगर एक बारीक नाड़ी भी दुष्प्रभावित हो जाए तो लकवा हो जाता है। मेरुदण्ड में से गुजरने वाली एक बारीक-सी नाड़ी भी दब जाए तो वे नळ जो संवेदनाएँ ग्रहण करती हैं, ऊर्जा पहुँचाती हैं वे उस विशिष्ट अंग तक पहुँचने नहीं देती और वह अंग कमज़ोर होकर अंततः काम करना बंद कर देता है । यह नाड़ी-संस्थान शरीर का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और इसे दुरुस्त करने के लिए व्यायाम करना होगा ताकि वह सुचारू रूप से काम कर
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