________________
मिलता है, जो मृत्यु से भी साक्षात्कार करने को तत्पर रहते हैं। उन्हें काया की नश्वरता का बोध हो जाता है। बचपन में एक फिल्म देखी थी उसका एक डायलॉग बहुत प्रसिद्ध हुआ था - जो डर गया सो मर गया - लेकिन इसकी हकीकत को किसी ने स्वीकार नहीं किया कि निर्भयता से जिओ। जीवन में हिम्मत चाहिए।सबसे पहले मृत्यु-भय को छोड़ो, जो मृत्यु से डरे वह पहले से ही मरा हुआ है। जिसने भय को, डर को ही अपने जीवन से निकाल दिया उसका मृत्यु भी क्या बिगाड़ पाएगी।
___ हर व्यक्ति चित्त के पाँच क्लेशों – अज्ञान, अहंकार, राग-द्वेष और मृत्यु के भय से घिरा हुआ है। वही इनसे बाहर निकल पाता है जो सहजता से, सकारात्मक रुख अपनाकर, आत्म-जागरूक होकर जीता है। इसलिए धैर्यपूर्वक, आनन्द, क्षमा
और शांतिभाव से अपना जीवन जिएँ। प्रभु से अपनी दिव्य प्रीति लगाएँ, अपने मन में श्री प्रभु को बसाकर उसका ध्यान लगाएँ। मुक्ति का यही रहस्य है। राग-द्वेष के अन्तर्द्वन्द्व से बाहर निकलने का एक मात्र रास्ता इधर से उखाड़ो और उधर लगाओ। यही तपस्या है, साधना है, अनासक्ति और मुक्ति है।
___ मुक्ति का कमल शांति के धरातल पर खिलता है। अपन सभी इस शांति और मुक्ति को उपलब्ध हों, इसी मंगल कामना के साथ प्रेमपूर्ण नमस्कार।
92
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org