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योगासन : प्रभाव और परिणाम
मेरे प्रिय आत्मन्!
. मनुष्य-जीवन की तुलना सितार या तानपूरे से की जा सकती है। सितार के तारों को यदि अधिक कस दिया जाए तो तारों की टूटन संभव है और ढीला छोड़ दिया जाए तो सर-संगीत ही न निकले। यही स्थिति हमारे जीवन के साथ भी है और योग वह मार्ग प्रशस्त करता है जिससे जीवन के तारों को इतना ही कसा जाए कि जीवन का संगीत, जीवन का आनंद उपलब्ध हो सके। योग व्यक्ति के मन, शरीर
और प्राणों के मध्य ऐसा संतुलन स्थापित करता है कि उसका जीवन मरघट का मुसाफ़िर न बनकर आनन्द का उत्सव बन जाए, संगीत का संसार और प्रकृति तथा परमात्मा का पुरस्कार बन जाए।
योग मन, देह, प्राण और आत्मा तक को स्वस्थ करता है। सीधे प्राण और आत्मा तक की यात्रा कठिन हो सकती है, लेकिन क्रमशः यात्रा करने पर यह सुगम हो जाती है। योग स्थूल से सूक्ष्म तक, बाहर से भीतर तक स्वस्थ, प्रसन्न, आनन्दपूर्ण
और समाधिमय बनाना पसंद करता है। जब तक देह का ढाँचा ही ठीक न होगा, हमारे शरीर के प्रमाद ही दूर न होंगे, शरीर स्वस्थ व आरोग्यमय न होगा, तब तक
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