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है। जो दान-धर्म कर रहे हैं इस तरह उन्हें कोई नहीं पूछता, सच्चाई में तो उनके पैसे को पूछा जा रहा है।
__ अमरत्व सत्य से मिलता है, सिद्धि सत्य से उपलब्ध होती है। जब भी सत्य को नज़रअंदाज किया जाता है जीवन में प्राप्त सिद्धि कम होती है, कटौती और हत्या होती है। एक वाणी का सत्य है दूसरा जीवन का सत्य है, चरित्र का सत्य, ईमान का सत्य। जब तक प्राणों पर न आ जाए झूठ न बोलें। सत्य बोलना सुरक्षित रहना है, इज़्ज़तदार रहना है।
चोरी पर लगाया जाने वाला अंकुश, अचौर्य नामक यम है। धनार्जन तो करना होगा पर झूठ का, चोरी का नहीं। चोरी का माल मोरी में। चोरी का माल तो वापस जाता ही है। किसी के धन की, वस्तु की, विचार की चोरी मत करो। दूसरे की वस्तु को बिना पूछे हाथ मत लगाओ।अब क्या कहा जाए, जब से देश में ईमान कम होने लगा है लोग चोरी-जारी पर उतारू हो गए हैं, तब से देश से देवताओं का बसेरा भी कम हो गया है। चोरी और बेईमानी से अपनी आजीविका की व्यवस्था करना दुर्भाग्य को न्यौता देना है। आजकल सत्संगों में जूतों की चोरी हो जाती है, मंदिरों में मूर्तियों की चोरी हो जाती है, पॉकेटमारी हो जाती है, दो घंटे के लिए व्यक्ति घर में ताला लगाकर बाहर चला जाए तो घर में चोरी हो जाती है। इतना ही नहीं मसालों में मिलावट मिलती है। यह सब चौर्य कर्म है। जब तक हम मंदिर, मस्जिद के धर्म के बजाय जीवन का धर्म नहीं करेंगे तब तक यही हालात रहने वाले हैं। मंदिर-मस्जिद में जाना धार्मिकता का कोई मापदंड हो सकता है, पर जब तक जीवन में ईमान और मोहब्बत नहीं आएगी धर्म नहीं होगा। तेईसघंटे बेईमानी से जीने वाला मंदिर जाए या न जाए कोई बहुत अधिक फ़र्क पड़ने वाला नहीं है। हर व्यक्ति भले ही नमाज़ अदा न करे, पर नमाज़ अदा करने की पात्रता ज़रूर अख्तियार करे। ज़रूरी नहीं है हर मुस्लिम नमाज़ अदा करे, पर ईमान ज़रूर बरते, मोहब्बत का पैग़ाम ज़रूर दे। नवकार मंत्र, गायत्री मंत्र हमें तभी स्मरण करने चाहिए जब इसकी पात्रता हासिल कर लें। मेरी बातों का कोई बुरा न माने, पर मैं कहना चाहूँगा कि जिन्होंने जीवन में नैतिक मूल्य उतारे हैं,सत्य का आचरण किया है वही मंदिर में या अन्य धर्म स्थलों पर प्रवेश करे। यह पात्रता किसी गुरुमंत्र से नहीं, सत्यता, नैतिक मूल्य, ईमान और पंच व्रत धारण करने से आती है। गुरुमंत्र उन्हें ही दिया जाना चाहिए जो इस कसौटी पर खरे उतरें।
मंदिर में जाकर प्रभु-प्रतिमा को तो प्रणाम कर लेते हैं, पर माता-पिता जो
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