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दी जाती है। अभिमन्यु अकेला आगे बढ़ता जाता है। वह अकेला रह जाता है, फिर भी साहस के साथ कौरवों से युद्ध करता है। यहाँ तक कि द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, दुर्योधन, दुःशासन, शकुनि और कर्ण सभी के साथ मुकाबला करने की कोशिश करता है, लेकिन अन्तत: वह वीरगति को प्राप्त हो जाता है।
इस कहानी को हम अपने जीवन में प्रतीकात्मक रूप से ग्रहण करेंगे। जैसे अभिमन्यु व्यूह-रचना में उलझ गया, वैसे ही हम सभी लोग भी अपने-अपने चित्त के जंजालों में उलझ जाते हैं। हम उसमें कदम रखना तो जानते हैं, प्रवेश तो कर जाते हैं, पर उसमें से वापस बाहर कैसे निकला जाए यह नहीं जानते। अधिकांश लोग यह कहते मिल जाएँगे कि उन्हें गुस्सा, क्रोध बहुत आता है और जानना चाहते हैं कि इसे कैसे शांत किया जाए। अर्थात् व्यक्ति अपने चित्त के जंजालों में कदम रखना तो जानता है पर उसमें से वापस कैसे बाहर निकला जाए यह नहीं जानता। चित्त के बहुत से विकार और उपद्रव हैं जिनमें क्रोध भी एक है। चाहे बालक हो या वृद्ध सभी की शिकायत है कि उसे गुस्सा आता है। मैं देखता हूँ कि गुस्सा सर्वव्यापी रोग बन चुका है। समृद्धि तो सभी चाहते हैं लेकिन लगता है समृद्धि तो गुस्से में आई है। इस क्रोध के कारण ही आज का व्यक्ति तनाव में है।
क्रोध के कारण ही व्यक्ति व्यक्ति से टूट रहा है, परिवारों का विघटन हो रहा है, यहाँ तक कि समाज और देश भी टूटन से ग्रस्त हो रहे हैं। हिंसा और अराजकता बढ़ रही है, आत्महत्याएँ हो रही हैं। चाहे गुस्सा हो, चाहे माया या लोभ हो या अन्य प्रपंच हों, राग-द्वेष हों, ये सभी चित्त के जंजाल हैं। हम सभी अपनी-अपनी वृत्तियों के चक्रव्यूह में उलझे हुए हैं। समस्या यह है कि कोई भी अपनी वृत्ति को समझने की कोशिश ही नहीं करता और समाधान भी दूसरे के द्वारा चाहता है। खुद की समस्या का समाधान दूसरों से कैसे करवाओगे। दूसरा हमारी समस्याओं का कारण नहीं जान सकता। हम खुद ही उन कारणों से रू-ब-रू होते हैं जो हमारी समस्याएँ निर्मित करते हैं।
हमें क्रोध दूसरों की गलती पर आता है, ख़ुद की गलती पर नहीं। जिस दिन हमने स्वयं की गलती पर क्रोध किया हमारी ज़िंदगी ही बदल जाएगी।
कहते हैं एक व्यक्ति झेन विद्यालय में पहुँचा। वहाँ ध्यान-साधना के पाठ सिखाए-पढ़ाए जाते थे। उसने वहाँ के गुरु से कहा, 'कृपया मुझे बताइये मैं कौन हूँ। इसका मुझे परिचय और ज्ञान दीजिए|गुरु ने इतना सुनते ही उसे अपने विद्यालय से हाथ पकड़कर बाहर निकाल दिया। उसे गुस्सा आ गया, सोचने लगा - यह क्या
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