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कैसे तोड़ें
अज्ञान का चक्रव्यूह
मेरे प्रिय आत्मन्,
प्राचीन कहानियाँ प्रतीकात्मक होती हैं। उनकी प्रामाणिकता और इतिहास इतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितनी कि उन कहानियों और प्रसंगों के पीछे छिपी प्रेरणा की भावना है, उद्देश्य है । हम उनमें छिपे हुए सत्यों से, आदर्शों, प्रेरणाओं का प्रकाश हासिल करें ।
महाभारत की प्राचीन कहानी है कि अभिमन्यु और अन्य पाँडव बंधु युद्ध के मैदान में पहुँच चुके हैं और कौरवों की ओर से पांडवों को परास्त करने के लिए एक विशिष्ट व्यूह-रचना की गई है। धनुर्धारी अर्जुन को जरासंध भरमाकर दूसरी दिशा में ले गया है। पाँडवों ने जब देखा कि इस व्यूह-रचना में वे परास्त हो जाएँगे तभी अभिमन्यु खुद ही कहता है, 'काकाश्री, मैं व्यूह-रचना में प्रवेश करना तो जानता हूँ पर उससे बाहर निकलना नहीं जानता ।' पाँडव कहते हैं, 'कोई दिक्कत नहीं है, हम तुम्हारे साथ हैं, तुम व्यूह-रचना को तोड़ते हुए आगे बढ़ो, हम पीछे चलते हैं।' अभिमन्यु हिम्मत करके उस व्यूह-रचना में प्रविष्ट हो जाता है । वह व्यूह-रचना इस तरह की थी कि अन्य पाँडव बंधु उसमें कदम नहीं रख पाते और व्यूह-रचना बंद कर
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