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का तापमान ऊँचा-नीचा होता रहता है।
अगर हम योग की समझ रखते हैं तो हमें योगी की तरह जीवन जीना चाहिए। कोई हमारे साथ चाहे जैसा व्यवहार करे हम अपनी ओर से सौम्य, सकारात्मक और मधुर व्यवहार करें। स्वयं पर संयम रखेंगे, अंकुश रखेंगे। अगर चित्तवृत्तियों का निरोध योग है तो याद रखें इन वृत्तियों पर अंकुश लगाना संयम है। राम की तरह मर्यादाओं को जिएँ, महावीर की तरह अहिंसा को अपनाएँ, बुद्ध की तरह करुणा की भावना रखें - ये सभी सतोगुण हैं । ययाति की तरह जीने वाले तो केवल वासना के पुतले होते हैं वे केवल तमोगुण को ही जीवन में प्रधानता देते है। ऐसे लोग प्रकाश में जन्म लेकर भी अंधकार में समाप्त हो जाते हैं। दुनिया का कोई भी फल अपने बीज से जुदा नहीं होता। अच्छे फलों को प्राप्त करने के लिए हमेशा अच्छे बीज बोते रहना चाहिए।
अंत में एक कहानी से प्रेरणा लें। कहते हैं : जर्मन में एक प्रसिद्ध व्यक्ति है ओबर लिन । एक बार ओबर लिन आँधी-ओलों के तूफान में फँस गए। उन्होंने मदद के लिए गुहार की, पर उनकी आवाज़ तेज तूफान में गुम हो गई। ओलों की मार झेलते-झेलते आख़िर बेहोश होकर गिर पड़े। थोड़ी देर में ही उधर से एक किसान गुजरा। उसने एक इंसान को बेहोश पड़े देखा तो अपनी बाँहों में उठाकर अपनी झोंपड़ी में ले आया। वहाँ ओबर लिन को होश आया, तो उसने उस किसान की आँखों में देखते हुए कहा, धन्यवाद! तुमने मेरी जान बचाई। मैं तुम्हें क़ीमती इनाम देना चाहता हूँ।
किसान ने हैरानी भरे स्वर में कहा, इनाम किसलिए? मैंने एक मित्र को मुसीबत में देखा, तो जान बचाने के लिए झोंपड़े में ले आया। मैंने महज कर्त्तव्य निभाया है। ___ओबर लिन ने कहा, 'कम-से-कम अपना नाम तो बताओ।'किसान ने कहा, मित्र बताओ, उस परोपकारी का नाम क्या बाइबिल में है? ओबर लिन एक मिनट के लिए मौन हुआ और कहा, 'नहीं।'किसान बोला, तो मुझे भी अनाम ही रहने दो।
बस, जीवन में केवल अच्छे बीज बोते जाओ। वे बीज जो हमारे सद्गुणों को बढ़ाएँ, जीवन में धन्यता का आनन्द प्रदान करें।
अपनी ओर से इतना ही निवेदन करता हूँ।
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