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हमारे अंदर अध्यात्म के प्रति जिज्ञासा जाग्रत हो जाएगी। रेशम के धागे के सहारे ही सही, हम किसी महल के भीतर पहुँचने में सफल हो जाएँगे। कहा जाता है कि एक वजीर को ऐसे महल में कैद कर लिया जाता है जो एक खंभे पर खड़ा है । खंभे पर खड़ी मीनार, अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं, अंदर तक कैसे पहुँचा जाए और वजीर को मुक्त होना है। तब वजीर अंदर से रेशम का एक धागा डालता है। उसके आदमी धागे को पकड़ लेते हैं। उसके साथ थोड़ा अधिक मज़बूत रेशम का धागा बाँध दिया जाता है। वजीर उस धागे को खींचना शुरू करता है। नीचे से क्रमश: और मजबूत धागा बाँधा जाता है, वजीर ऊपर खींचता रहता है, अंततः एक मोटा रस्सा ऊपर पहुँचा दिया जाता है और वजीर उस रस्से के सहारे आजाद हो जाता है, मुक्त हो जाता है।
पतंजलि के योग-सूत्र रेशम के पतले-पतले धागों की तरह हैं। अगर इन पर चिंतन-मनन किया जाए, इन पर एकाग्रता कायम करेंगे तो ये धागे, धागे न रह जाएँगे, इन्हीं के सहारे हम मुक्ति के रस्से पकड़ने में सफल हो जाएँगे। बुद्धि लगाकर तन्मयता के साथ अगर हम तत्पर होंगे तो ये सूत्र, सूत्र न रहकर सूत्रधार बन जाएँगे, हमारी मुक्ति के, निर्वाण के, प्रज्ञा के, ऋतम्भरा के समाधि के द्वार बन जाएँगे । महर्षि ने योग के द्वारा प्रभु के दिव्य पथ को साधा और सूत्र - रूप में छोटे-छोटे वाक्य देते हुए अपनी अनुभूतियों को पिरोने का प्रयास किया। सूत्र के रूप में उन्होंने बिखरे हुए मोतियों की माला बनाकर हमें प्रदान की है। ये सूत्र हमें स्वयं से जोड़ें और हमारे मन व बुद्धि में योग का अधिक प्रकाश प्रदान करें और हमारी मनोवृत्ति, हमारी लेश्या, हमारे आभामंडल और हमारी चैतन्य दशा में और अधिक सुधार लाएँ ।
अब हम योग-सूत्रों में प्रवेश करते हैं। पहला और महत्त्वपूर्ण योगसूत्र है योग: चित्तवृत्ति-निरोधः । चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। हमारे अन्तर्मन में विचारों, विकल्पों, स्मृतियों, कल्पनाओं के रूप में जो उठापटक चलती रहती है उनका विलय हो जाना, उनका निरोध कर देना ही योग है ।
एक पत्नी ने अपने पति से कहा- तुम जितना कमाते हो उसमें घर का खर्चा चल नहीं पाता, व्यवस्थाएँ पूरी नहीं हो पातीं इसलिए तुम और मेहनत करो ताकि पर्याप्त पैसा आ सके। पति ने कहा- मैं तो पर्याप्त मेहनत करता हूँ और पैसा भी काफ़ी कमाता हूँ लेकिन खर्चा इसलिए नहीं चलता कि मैं छः दिन ही कमाता हूँ और तुम सात दिन खर्चा करती हो । यदि तुम निरोध करना सीख जाओ तो मुझे अतिरिक्त मेहनत करने की ज़रूरत न होगी ।
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