Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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॥ परिशिष्ट ॥
दीक्षा-शताब्दी-नायक ने रतलाम (मालवा) में प्रस्थापित श्री 'अभिधानराजेन्द्र-प्रचारक-संस्था के अधिकार में विक्रम सं. १९६४ में 'श्रीराजेन्द्रसूर्यभ्युदयावली' और संवत् १९७८ में श्री राजेन्द्रसूरि जैन ग्रन्थमाला' तथा खुडाला (मारवाड़) में प्रचलित 'श्री राजेन्द्रप्रवचन कार्यालय के आश्रित सं. १९८६ में 'श्री राजेन्द्र प्रवचन कार्यालय-सीरीज' और उसी के आधिपत्य में सं.२००१ में 'श्रीयतीन्द्रसूरि-साहित्यमाला' संस्थापित करके, उनके द्वारा अनेक छोटे-बड़े ग्रन्थ प्रकाशित करवाये हैं।
इन ग्रन्थों में सरल संस्कृतगद्यपद्यात्मक, स्तवनादि गायन, शुद्ध हिन्दी-भाषा, धार्मिक क्रियाकाण्ड और हिन्दी-अनुवाद-सम्बन्धी ग्रन्थ-साहित्य है जो शुद्ध, बढ़िया कागज पर आकर्षक रूप में मुद्रित है और यह साहित्य-प्रेमी जैन सद्-गृहस्थ श्रावकों एवं श्राविकाओं द्वारा प्रदत्त-द्रव्य सहाय से प्रकाशित हुआ है। इसके गई ग्रन्थों पर अनेक विद्वानों के अभिप्राय उपलब्ध हैं और पत्रसम्पादकों की ओर से समालोचनाएँ निकल चुकी हैं।
उपर्युक्त ग्रन्थमालाओं के द्वारा चरितनायक ने जो साहित्य-सम्बन्धी ग्रन्थ प्रकाशित किये, करवाये और सर्व-साधारण को रुचिकर हुए उनके हजारों की संख्या में प्रकाशित होने पर भी आज उनमें से कुछ की प्रतियाँ अनुपलब्ध हैं। ग्रन्थों के नाम मय-पृष्ठ संख्या के,इस प्रकार हैं
१. श्रीराजेन्द्रसूर्यभ्युदयावली
नाम-पुस्तक
१.धनसार अघटकुंवर चौपाई २. राइदेवसी-प्रतिक्रमण चौपाई ३. आगमसार (सजिल्द) ४. अष्टाह्निका व्याख्यान(मारवाड़ी भाषा सहित) ५. भावनास्वरूप (संक्षिप्त हिन्दी) ६.मांगलिक-संग्रह(मोटा टाइप) ७. गायन-सुधारस द्वि. भाग ८. जिनगुणमञ्जूषा प्रथम भाग(स्तवनादि संग्रह) ९. जिनगुणमञ्जूषा, द्वि भाग १०. पूजामहोदधि, प्रथम भाग ११. पूजा महोदधि, द्वि. भाग १२. महासती शीलरती रास १३. महासती शीलसुन्दरी रास १४. श्री स्थापनाचार्यजी १५. नाकोड़ा तीर्थ का इतिहास १६. गायन-सुधारस तृ. भाग १७. चतुर्विंशतिदण्डकविचार (३६ द्वार) १८.जिनगुणमञ्जूषा, तृ. भाग(स्तवनादि संग्रह)
१९. गायन-सुधारस चौथा भाग bordedubodibediuorirbraidedurbraidrawbraidrawbredindibedieo-२
६४ dibediediodrowomanbrdbedomdediomaherdibudhirdibraidad
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