Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
View full book text
________________
- गनीन्दमूरि स्मारक ग्रन्थ - आधुनिक सन्दर्भ में जैनधर्महैं। और भोग के त्याग से संयममय मर्यादित जीवन से उपर्युक्त व्रत दूसरों के प्रति होने वाली बुराइयों व प्रदूषणों से बचाते हैं। सभी क्षेत्रों में विकास या पोषण होता है। पर्यावरण-प्रदूषण से चौथे से लेकर सातवें व्रत तक तथा दसवाँ व्रत भोग परिभोग बचें तथा पर्यावरण का समुचित शुद्धिकरण हो, यही जैन-दर्शन को मर्यादित रखने के लिए हैं, जिनसे पर्यावरण का संतुलन के तत्त्वज्ञान का उद्देश्य है।
___ बना रहता है। आठवाँ व्रत सामाजिक पर्यावरण को प्रदूषित होने किसी भी प्रकार का वातावरण दूषित न हो इसके लिए
से बचाता है। नवाँ व ग्यारहवाँ व्रत आत्म-पर्यावरण शुद्धि का जैन-दर्शन में गृहस्थ धर्म के रूप में उपर्युक्त बारह व्रतों के
पोषक है। बारहवाँ व्रत सर्वहितकारी प्रवृत्ति को प्रोत्साहन देने पालन का प्रतिपादन किया गया है। इन बारह व्रतों में प्रथम तीन
वाला है। इस प्रकार जैन-जीवन-पद्धति समस्त प्रकार की पर्यावरण की शुद्धि में सहायक है।
Morariandaridridivomshrmswamsansamirsidad- ५२dmiridiosdrsiondonsiduniadiansarswamirandard
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org