Book Title: Yatindrasuri Diksha Shatabdi Samrak Granth
Author(s): Jinprabhvijay
Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
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रतलाम - रविवार, 26 नवम्बर 2000
दैनिकभास्कर शांति स्थापना में जैन धर्म की भूमिका महत्वपूर्ण
___ जावरा । श्रीमद् यतींद्रसूरि दीक्षा शताब्दी स्मारक ग्रंथ का विमोचन यहां समारोह पूर्वक हुआ। श्री राजेंद्र जैन नवयुवक मंडल के तत्वावधान में आयोजित समारोह की मुख्य अतिथि प्रदेश की उपमुख्यमंत्री श्रीमती जमुनादेवी थीं। समारोह में अखिल भारतीय त्रिस्तुतिक संघ से जुड़े सदस्यों तथा सेवाभावी गुरुभक्तों का बहुमान किया गया।
समारोह को संबोधित करते हुए कहा जिस तरह देश में अशांति बढ़ती जा रही है ऐसी स्थिति में जैन धर्म का दायित्व
और बढ़ गया है। शांति स्थापना में जैन धर्म महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । समारोह को पूर्व गृहमंत्री व सीतामऊ विधायक भारतसिंह, मंदसौर विधायक नवकृष्ण पाटिल, मंडी बोर्ड के अधिकारी के.के. सिंह, सांसद प्रतिनिधि, डा. राजेंद्र पांडे ने भी संबोधित किया। मंच पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष दीनदयाल पाटीदार, चंद्रप्रकाश ओस्तवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रहलाद पोरवाल सहित अन्य अतिथि उपस्थित थे।
ग्रंथ विमोचन के बाद श्रमण विद्यापीठ का मुख्यालय ज्योतिषाचार्य मुनिश्री जयप्रभविजयजी
जावरा में स्थापित होगा महाराज का बहुमान कांबली ओढ़ाकर
जावरा । ज्योतिषाचार्य मुनिराज किया गया। इस अवसर पर अखिल
श्री जयप्रभविजयजी महाराज द्वारा भारतीय श्री सौधर्म बृहत्तपागच्छीय श्री
संरक्षित श्री राजेन्द्र श्रमण विद्यापीठ का संघ में योगदान प्रदान करने वाले
मुख्यालय नगर में स्थापित होगा।
मुख्यालय निर्माण हेतु चिमनलाल, मांगीलालजी छाजेड़, धरमचंद नागदा,
महेंद्रकुमार, विजयकुमार गोखरू परिवार मूलचंद बाफना मुंबई, जयंतीलाल
जावरा द्वारा लगभग 3600 वर्गफीट भूमि बाफना मुंबई, रमेशचंद्र खटोड़ मनावर
प्रदान की गई। विद्यापीठ के संस्थापक श्रेणिक लुणावत रतलाम, मांगीलाल
मुनिराज श्री हितेशचंद्र विजयी म.सा. व बाठिया ताल, शांतिलाल वजावत मार्गदर्शकं मुनिराज श्री दिव्यचंद्र चेन्नई, राजेन्द्र कुमार मेहता मुंबई, विजयजी म.सा. के निर्देशन में इस भूमि बागमल नाहर मंदसौर, ग्रंथ के प्रधान पर विद्यापीठ के मुख्यालय के साथ ही संपदाक सागरमल जैन शाजापुर, विशाल ग्रंथालय व वाचनालय का संपादक रमणभाई पी.शाह मुंबई, प्रबंध निर्माण किया जाएगा जिसमें जैन एवं संपादक समरथमल लोढ़ा, बाबूलाल
जैनेत्तर साहित्य का संग्रह उपलब्ध रहेगा खिमेसरा, अनिल चौपड़ा, भूपेंद्र
साथ ही एक गुरुकुल की स्थापना कर
50 श्रावकों को जैन विधिकारक की पूर्ण रुणवाल, पुखराज टी. पोरवाल व
शिक्षा प्रदान की जाएगी। संतोष मामा का बहुमान किया गया।
स्वागत भाषण बाबूलाल खेमसरा ने दिया । कार्यक्रम संयोजक धरमचंद चपड़ौद ने ग्रंथ के बारे में जानकारी दी।
प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत श्री राजेंद्र जैन नवयुक मंडल के अध्यक्ष महेंद्र कुमार गोखरू, सचिव अभय चौपड़ा, त्रिस्तुतिक श्री संघ के अध्यक्ष जीतमल लुक्कड़, माणकलाल कोठारी, बाबूलाल खेमसरा, धरमचंद चपड़ौद, श्री राजेंद्र सूरि जैन दादावाड़ी के अध्यक्ष सुजानमल आंचलिया आदि ने किया। संचालन आनंदीलाल संघवी ने किया। समरथमल लोढ़ा ने आभार व्यक्त किया। विमोचन समारोह में साधु-साध्वी तथा बड़ी संख्या में अनुयायी उपस्थित थे। इससे पूर्व ग्रंथ की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा पिपली बाजार उपाश्रय से प्रारंभ हुई और प्रमुख मार्गों से होते हुए श्री जैन दादावाड़ी पहुंची।
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