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सरस्वती
[भाग ३८
कुल्हाड़ी से एक एक घाव मार दिया जाता है. जिससे छिलका कट कर कुल्हाड़ी कुल अन्दर घुस जाती है। इम तरह पेड़ को काटकर छोड़ देते हैं। बाद को बह पेड़ रखकर ग्राँधी-पानी का शिकार बन कर खुद गिर जाता है। यदि सूग्वा खड़ा भी रहा तो घाम को हानि नहीं पहुँचाता। __इस तरह देखतेभालते हम लोग उस जगह पहुँचे, जहाँ
शीपडिपिंग हो रहा [सिङ्गापुर का एक हिन्दू मंदिर ]
था। मिस्टर मेकिंगग ली। प्रायः सभी हातों में कहीं भेड़, कहीं गाय-बैल, कहीं जो कल शाम को निहायत सभ्य की पोशाक में बँगले में थे, घोड़े, कहीं बकरियाँ, अलग अलग चर रहे थे । जहाँ-तहाँ ग्राज बही 'अवराल' डाले हुए हाथ में डंडा लिये गड़रियों जंगल भी खड़ा था। पानी के दो-चार नालां के समान की बोली वालते हुए भेड़ों के गिरोह में दिख। उनके गढे मिले । इनको 'क्रीकर कहते हैं। बरसात होने पर इनमें लड़के भी अन्य मजदरों की तरह पानी भर जाता है । वही जानवरों को पिलाने के काम लगे हुए थे। कई बाड़ों में भेड़ें भरी हुई थीं। भेड़ों के अाता है। थोड़ी दूर जाने पर गेहूँ के खेत मिले । यहाँ ऊन के ऊपर एक प्रकार के कीड़े बैठ जाते हैं, जो अंडे. खेत मशीनों से ही जोते, बोये और काटे जाते हैं। बच्चे देकर शीघ्र खाल में बैठकर उनकी जान लेकर फ़सल असींच होती है। बरसात का सहारा ज़रूर रहता छोड़ते हैं। इसलिए समय समय पर भेड़ों को ज़हर के है। बीहड़ भूमि में गेहूँ के हरे हरे खेत लहलहा रहे थे। पानी में डुबाया जाता है, जिससे कीटाणुत्रों का नाश हो ऐसा भी एक भाग मिला, जहाँ सूखे पेड़ खड़े हुए थे। जाय । उस रोज़ उन्हें १० हजार भेड़ों को इस तरह बतलाया गया कि यहाँ जंगल साफ़ किया जा रहा है। बाना था। पेड़ों की वजह से घास नहीं बढ़ती है। जहाँ पेड़ कट गये बाड़ों में से लकड़ी के बने हुए एक तंग रास्ते से एक कि घास ज़ोर पकड़ जाती है और मवेशी पालने के काम एक भेड़ हका ली जाती थी। रास्ता तिरछा था। भेड़
आने लगती है । जंगल साफ़ करने का मतलब भमि को नीचे से ऊपर की तरफ़ ठेली जाती थी, जिससे नीचे क्या वृक्ष-रहित कर देना है। पेड़ों को जड़ से काटने व उनके है, भेड़ को न दिखे । उच्च स्थान पर श्राने पर एक घूमती ढोने में ज़्यादा ख़र्च पड़ने की वजह से वृत्तों की छाल उधेड़ने हुई पटरी पर वह ठेल दी जाती थी जिससे वह पीछे नहीं की रीति काम में लाई जाती है। वह रीति यह है कि पेड़ हट सकती थी। यह पटरी एक नाली में ख़तम होती थी, में जमीन से दो फुट की ऊँचाई पर चारों तरफ़ मे गोलाकार जो करीब तीन हाथ चौडीब दस हाथ ल
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