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व्याकरण शास्त्र का इतिहास ]
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[ व्याकरण शास्त्र का इतिहास
( पष्ठशतक) के 'वाक्यपदीय' में (दे० वाक्यपदीय ) । मंडन मिश्र ने 'स्फोट - सिद्धि' नामक प्रौढ़ ग्रन्थ लिखा जिसमें ३६ कारिकाएं हैं। भरतमिश्र ने 'स्फोटसिद्धि' पुस्तक लिखी है जिसमें तीन परिच्छेद हैं- प्रत्यक्ष, अर्थ एवं आगम । मूल ग्रन्थ कारिका में लिखा गया है और उसकी व्याख्या गद्य में है, और वह भी भरत मिश्र का लिखा हुआ है ।
कालान्तर में स्फोट - सिद्धान्त के ऊपर अनेक ग्रन्थ लिखे गए जिनमें निम्नलिखित प्रसिद्ध हैं - केशव कवि - 'स्फोट प्रतिष्ठा', शेषकृष्ण कवि - 'स्फोटतस्व', श्रीकृष्णभट्ट - 'स्फोटचन्द्रिका', आपदेव - 'स्फोट निरूपण', कुन्दभट्ट - 'स्फोटवाद' | कौण्डभट्ट रचित 'वैयाकरण भूषणसार' भी व्याकरण-दर्शन का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है तथा नागेशभट्ट की 'व्याकरणसिद्धान्त मंजूषा' भी दार्शनिक ग्रन्थों में आता है ।
प्राकृत-व्याकरण - प्राकृत भाषा का प्रथम व्याकरण 'प्राकृतसूत्र' नामक ग्रन्थ हैं जिसके रचयिता आदि कवि वाल्मीकि माने जाते हैं। इसका दूसरा नाम 'वाल्मीकि - सूत्र' भी है । पर आज यह जिस रूप में उपलब्ध है उसे विद्वान् परवर्ती रचना मानते हैं। इस पर त्रिविक्रम पण्डित ने 'प्राकृतसूत्रवृत्ति' नामक टीका लिखी है जिनका समय १४वीं शताब्दी है । कुछ लोगों के अनुसार पंडित हो इसके मूल लेखक हैं ।
प्राकृत प्रकाश - इसके लेखक वररुचि हैं। इसमें ५०७ सूत्र हैं तथा इसकी चार प्राचीन टीकाएं प्राप्त होती हैं- 'मनोरमा', प्राकृत मंजरी', 'प्राकृतसंजीवनी' तथा 'सुबोधिनी' । मनोरमा के रचयिता भामह हैं । प्राकृत के अन्य व्याकरणों के नाम इस प्रकार हैं- प्राकृत लक्षण-चण्डकृत - ११७२ ई०, संक्षिप्त सार- क्रमदीश्वरकृत, प्राकृतव्याकरण ( शब्दानुशासन ) – त्रिविक्रम देव - १२३६ - १३०० ई०, प्राकृतरूपावतारसिहराजकृत - १३०० - १४०० ई०, षड्भाषाचन्द्रिका - लक्ष्मीधर - १५४१-१५६५ ई०, प्राकृत सर्वस्व - मार्कण्डेय कवीन्द्र |
आधारग्रन्थ - १. फिलॉसफी ऑफ संस्कृत ग्रामर - प्रो० चक्रवर्ती । २. इण्डिया इन पाणिनि - डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल । ३. हिस्ट्री ऑफ संस्कृत लिटरेचर -- ए० बी० कीथ । ४. वैदिक ग्रामर -- - मैकडोनल । ५. संस्कृत ग्रामर - -हीटनी । ६. संस्कृत लैंगुयेज - टी० बरो । ७. लिग्विस्टिक स्पेकुलेशनस् ऑफ संस्कृत - वटकृष्ण घोष । ८. फोनेटिक्स ऑब्जरवेशनस् इन एन्शियन्ट इण्डिया - डॉ० सिद्धेश्वर वर्मा । ९. पाणिनिकालीन भारत- डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल । १०. संस्कृत व्याकरण-शास्त्र का इतिहास भाग १, २ – पं० युधिष्ठिर मीमांसक । ११. वैदिक स्वर-मीमांसा - पं० युधिष्ठिर मीमांसक । १२. संस्कृत भाषा ( हिन्दी अनुवाद टी० बरो कृत ग्रन्थ का ) डॉ० भोलाशंकर व्यास । १३. संस्कृत का भाषाशास्त्रीय अध्ययन - डॉ भोलाशंकर व्यास । १४. पतंजलिकालीन भारत - डॉ० प्रभुदयाल अग्निहोत्री । १५. वैदिक व्याकरण ( मैकडोनल कृत वैदिक ग्रामर का हिन्दी अनुवाद) अनु० डॉ० सत्यव्रत । १६. वैदिक व्याकरण भाग १,२ - डॉ रामगोपाल । १७. पाणिनि - डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल । १८. संस्कृत व्याकरण का संक्षिप्त इतिहास - पं० रमाकान्त मिश्र । १९. अर्थ विज्ञान और व्याकरण-दर्शन - डॉ० कपिलदेव द्विवेदी । २०. प्रतिभा दर्शन - पं० हरिशंकर
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