Book Title: Sanskrit Sahitya Kosh
Author(s): Rajvansh Sahay
Publisher: Chaukhambha Vidyabhavan

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Page 671
________________ सक्तिबह या सुभाषित-संग्रह ] ( ६६.) [सूक्तिसंग्रह या सुभाषित-संग्रह सूक्तिसंग्रह या सुभाषित-संग्रह-संस्कृत में ऐसे कतिपय पद्य-संग्रह है बिनमें ऐसे कवियों की रचनाएं संग्रहीत हैं, जो सम्प्रति उपलब्ध नहीं होतीं। इन संग्रहों में शताधिक कवियों के लुप्त ग्रन्थों के संग्रह विद्यमान हैं। इनमें मुक्तकों के अतिरिक्त प्रबन्धकाव्यों के भी अंश उपलब्ध होते हैं। इन सूक्तिग्रन्थों ने अनेक विस्मृत कवियों को प्रकाश में लाकर उनका परिचय दिया है संस्कृत साहित्य के इतिहास-लेखन में इन ग्रन्थों की उपादेयता असंदिग्ध है। १-सुभाषित रत्नकोष-इसके संग्रहकर्ता के सम्बन्ध में कुछ भी ज्ञात नहीं है, पर जिन कवियों की रचनाएँ इसमें संकलित हैं वे एक हजार ईस्वी से इधर की नहीं हैं । इसका रचनाकाल ग्यारहवीं शताब्दी के बाद का है। २-सुभाषितावली-इसके संग्रहकर्ता काश्मीरनिवासी वल्लभदेव थे। यह विशाल संग्रहान्य है जिसमें १०१ पद्धतियों से ३५२७ पद्यों का संग्रह है। इसमें अवान्तर कवियों की रचनाएं संकलित हैं। अतः इसका संग्रह १५वीं शती से पूर्व नहीं हुआ होगा। इसमें कवि तथा काव्यों की संख्या ३६० है । [ बम्बई संस्कृत सीरीज से प्रकाशित ] । ३–सदुक्तिकर्णामृत-इसका संकलन १२०५ ई० में किया गया था। इसके संकलनकर्ता का नाम श्रीधरदास है, जो बंगाल के राजा लक्ष्मणसेन के धर्माध्यक्ष बटुकदास के पुत्र थे। इसमें बंगाल के बहुत से अज्ञात कवियों की रचनाएं संकलित हैं। इसका विभाजन पांच प्रवाहों में किया गया है-अमर, श्रृंगार, चाटु, उपदेश तथा उच्चावच । प्रत्येक प्रवाह बीषियों में विभाजित है, जिनकी संख्या ४७६ है। प्रत्येक बीचि में पांच श्लोक हैं। श्लोकों की कुल संख्या २३८० है। इसमें उद्धृत कवियों की संख्या ४८५ है जिनमें ५० सुप्रसिद्ध कवि हैं और शेष ४३५ कवि अज्ञात हैं। [म. म. रामावतार शर्मा द्वारा सम्पादित तथा पंजाब ओरियण्टल सीरीज सं० १५ से प्रकाशित ] | ४-सूक्तिमुक्ताबली-इसके संग्रहकर्ता का नाम जह्मण था। ये दक्षिण भारत नरेश कृष्ण के मन्त्री थे तथा इनके पिता का नाम लक्ष्मीदेव था। इनका समय १३वीं शती है। इसमें संस्कृत कवियों की प्रशस्तियां हैं। ५-शाङ्गधरपद्धति-इसके रचयिता दामोदर के पुत्र शाङ्गंधर हैं। इसका रचनाकाल १३६२ ई० है। इसमें श्लोकों की संख्या ४६८९ है तथा ये श्लोक १६३ विषयों में विभक्त हैं। ६-पद्यावली-इसके संग्रहकर्ता श्री रूपगोस्वामी हैं। इसमें कृष्णपरक सूक्तियों का संग्रह है। पद्यावली में १२५ कवियों के ३८६ पद्य हैं। इसका प्रकाशन ढाका विश्वविद्यालय से १९३४ ई० में हुआ है। ७-सूक्तिरत्नहार-१४वीं शती के पूर्वार्द्ध में सूर्यकलिंगराय ने इसका संकलन किया था। ये दाक्षिणात्य थे। यह अनन्तशयन ग्रन्थमाला से १९३९ ई० में प्रकाशित हो चुका है। ८-पद्यवेणी-इसके संकलनकर्ता का नाम वेणीदत्त है जो नीलकण्ठ के पौत्र तथा जगज्जीवन के पुत्र थे। 'पद्यवेणी' में मध्ययुगीन कवियों की रचनाओं का संकलन है जिसमें १४४ कवियों की रचनाएं संगृहीत हैं जिनमें कई स्त्री कवियों की भी रचनाएं हैं। ९-पद्यरचना-इसके रचयिता लक्ष्मणभट्ट आंकोलर हैं। इसमें १५ परिच्छेद है-देवस्तुति, राजवर्णन, नायिकावर्णन, ऋतु, रस आदि । कुल पदों की

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