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शंकराचार्य ]
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[ शंकराचार्य
में उन्होंने भाष्य की रचना की थीं। इस सम्बन्ध में एक श्लोक प्रचलित है—अष्टवर्ष चतुर्वेदी द्वावके सर्वशास्त्रवित् । पोडशे कृतवान् भाष्यं द्वात्रिंशे मुनिरभ्यगात् ॥ कहा जाता है कि बाठ वर्षो की अवस्था में शंकराचार्य ने माता से अनुमति मांग कर सन्यास ग्रहण किया था और तदनन्तर समस्त भारत का परिभ्रमण कर अद्वैतवाद का प्रचार किया। बदरिकाश्रम के उत्तर में स्थित ब्यासमुहा में आचार्य ने चार वर्षों तक निवास कर 'ब्रह्मसूत्र' 'गीतां,' 'उपनिषद्' तथा 'सनत्सुजातीय' के ऊपर अपना प्रामाणिक भाष्य लिखा ।
शंकराचार्य के नाम से २०० ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं। पर इनमें से सभी उनके द्वारा रचित नहीं हैं। उनके ग्रन्थों को तीन भागों में विभक्त किया जाता है-भाष्य, स्तोत्र एवं प्रकरणग्रन्थ 'ब्रह्मसूत्र' के भाष्य को 'शारीरिकभाष्य' एवं गोता के भाष्य को 'शांकरभाष्य' कहा जाता है । उन्होंने १२ उपनिषदों पर भाष्य लिखा है - ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मान्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक, श्वेताश्वतर तथा सिंहतापनीय । उनके अन्य ग्रन्थों का विवरण इस प्रकार है- १ माण्डूक्यकारिका भाष्य - गौडपादाचार्य कृत 'माण्डूक्य उपनिषद' की कारिका के ऊपर भाष्य । इसके सम्बन्ध में विद्वानों ने सन्देह प्रकट किया है। २– विष्णुसहस्रनामभाष्य । ३ - समत्सु - जातीय भाष्य ( महाभारत, उद्योगपर्व अध्याय ४२ तथा ४६ का भाष्य ) । ४ – हस्तामलक भाष्य ( द्वादश पद्यात्मक श्लोक पर, भाष्य आचार्य हस्तामलक रचित ) ५ ललिता त्रिशती भाष्य ( ललिता के तीन सौ नामों पर भाष्य ) । ६ गायत्री भाष्य । ७ जयमङ्गलाटीका ( सांख्यकारिका के ऊपर भाष्य स्तोत्रग्रन्थ – आचार्य रचित स्तोत्रग्रन्थों की संख्या ( गणेशपंचरत्न ६ इलोक, गणेश भुजंगप्रयात ९ श्लोक, गणेशाष्टक तथा वरद गणेश इलोक ), शिवस्तोत्र - ( शिवभुजंग ४० श्लोक, शिवानन्दलहरी १०० श्लोक, शिवपादादिके शान्तस्तोत्र ४१ श्लोक, शिवकेशादिपादान्तस्तोत्र २९ श्लोक, वेदसार शिवस्तोत्र ११२ श्लोक, शिवापराधक्षमापनस्तोत्र १५२ श्लोक, सुवर्णमालास्तुति ५० वलोक, दक्षिणामूर्ति वर्णमाला ३५ श्लोक, दक्षिणामूत्यंष्टक १० श्लोक, मृत्युज्जब मानसिकपूजा ४६ श्लोक, शिवानमावल्यष्टक ९ श्लोक, शिवपञ्चाक्षर ५ श्लोक, उमामहेश्वरस्तोत्र १३ श्लोक, दक्षिणामूर्तिस्तोत्र १९ श्लोक, कालभैरवाष्टक शिवपंचाक्षरनक्षत्रमाला २८ श्लोक, द्वादशलिंगस्तोत्र, दशश्लोकीस्तुति )
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पर, यह रचना सन्देहास्पद है ) । बहुत अधिक है । गणेशस्तोत्र
देवीस्तोत्र - सौन्दर्यलहरी १०० इलोक, देवीभुजङ्गस्तोत्र २८ श्लोक, आनन्दलहरी २० श्लोक, त्रिपुरसुन्दरी वेदपादस्तोत्र ११० श्लोक, त्रिपुरसुन्दरीमानसपूजा १२७ श्लोक, देवीचतुषष्टषुपचारपूजा ७२ श्लोक, त्रिपुरसुन्दर्यटक ८ श्लोक, ललितापञ्चरत्न ६ श्लोक, कल्याणवृष्टिस्तव १६ श्लोक, नवरत्नमालिका १० / श्लोक, मन्त्रमातृका पुष्पमालास्तव १७' इलोक, गौरीदक्षक ११ कुक, भवानीभुजङ्ग १७ श्लोक, कनकधारा स्तोत्र ११ श्लोक, बनपूर्णाष्टक १२ श्लोक, मीनाक्षीपल्चरत्न ५ श्लोक, मीनाक्षीस्तोत्र ८ क्लोक, भ्रमराम्बाष्टकम्, शारदा कुप्रयाताष्टक ।
विष्णुतोष-काममुजङ्गप्रयात १९ क्लोक, विष्णुमुजप्रयात, १४ श्लोक विष्णु
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