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संस्कृत शब्द कोश ]
(६१)
[संस्कृत शब्द कोश
'शब्दरत्नप्रदीप, ५ खण्डों में, (१३७४.ई.), पपरागदत्त-भूरिक प्रयोग', रामेश्वर. शर्मा-'शब्दमाला', दण्डाधिनाथ-'नानाथरत्नमाला' (१४ वीं शती), जटाधर'अधिनतन्त्र', नामांगदसिंह-'अनेकार्थ', 'नानार्थमन्जरी', रूपचन्द्र-रूपमम्बरी' (नाममाला, १६ वीं शती), हर्षकोतिषर कृत 'शारदीय नाममाला' (१६वों शती), वामनभट्टबाण-'शब्दरत्नाकर', अप्पय दीक्षित-'नामसंग्रहमाला'। मधुरेश'शब्दरत्नावली' (१७ वीं शती), विश्वनाथ-कोशकल्पतरु', सुजन-नानार्थपदपीठिका' तथा 'वन्दलिंगायचन्द्रिका', क्षेमेन्द्र-'लोकप्रकाश', महीप-'अनेकार्थमाला', हरिचरणसेन-'पर्यायमुक्तावली', वेणीप्रसाद-पंचतत्वप्रकाश', 'अनेकार्थतिलक', राघव खाडे. कर-कोशावतंस', महाक्षपणक-'अकेकार्थध्वनिमन्जरी', हर्ष-लिंगानुशासन', अनिरुद्ध'शब्द-भेद-प्रका',शिवदत्त वैय-'शिवकोश' (बेचक का कोश), 'गणितार्थनाममाला' तथा 'लक्षणकोश'। भुवनेश-'लोकिकन्यायमुक्तादली', 'लोकिक न्यायकोश' तथा 'लौकिकन्यायसंग्रह।
आधुनिक कोश-संस्कृत के बाधुनिक कोणों में 'शब्दकल्पद्रुम' एवं 'वाचस्पत्यम्' महान् उपलब्धियां हैं। राजा स्यार राधाकान्तदेव रचित 'सन्दकल्पद्रुम' की रचना १८२८-१८५८ ई० में हुई है। इसमें पाणिनि व्याकरण के अनुसार प्रत्येक शब्द की मनुत्पत्ति है तथा शब्द प्रयोग के उदाहरण भी हैं। यह कोश समस्त भारतीय शान का बृहदकोश है जो सात खण्डों में लिखा गया है।
वाचस्पत्यम्-यह 'शब्द कल्पद्रुम' की अपेक्षा बृहत्तर पृछाधार लिये हुए है । इसके रचयिता तकं वाचस्पति तारानाथ भट्टाचार्य हैं । इसका रचनाकाल १८७३६०है। दोनों ही कोषों में शब्दकोश एवं विश्वकोश का मिश्रित स्वरूप प्राप्त होता है। इनमें साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, तन्त्र, दर्शन, संगीत, काव्यशास्त्र, इतिहास, चिकित्साशाम बादि के पारिभाषिक सब्दों का विवेचन है। पाश्चात्य विद्वानों में मोनियर विलियम त 'संस्कृत इङ्गलिश डिक्शनरी', बेनफे की 'संस्कृत इङ्गलिश डिक्शनरी' तथा विल्सन एवं मेक्डानल के कोश प्रसिद्ध हैं। भारतीय विद्वानों में आप्टे ने 'संस्कृत अंगरेजी' बृहदकोश की (तीन खण्डों में ) रचना की है तो अत्यन्त प्रामाणिक कोश है। इन्होंने संस्कृत अंगरेजी' तथा 'अंगरेजी संस्कृत' नामक दो लघुकोश भी लिखे हैं। प्रथम का हिन्दी. अनुवाद हो चुका है। अन्य प्रसिद्ध कोश है-संस्कृत इङ्गलिश डिक्शनरी-ब्ल्यू. योट्स, १९४६ ई० तथा रॉय एवं बोलिंग कृत 'संस्कृत जर्मन कोश' (१८५८७५ ई.)। यह सात खण्डों में प्रकाशित भारतीय विद्या का महान् कोश है । हिन्दी में 'अमरकोश' के अनेक अनुवाद हैं और मोनियम विलियम कृत कोश के भी दो अनुवाद हो चुके हैं । म० म.पं. रामावतार शर्मा कृत 'वाङ्मयार्णव' बीसवीं शती का महान् कोश है जो १९६७ ई० में प्रकाशित हुआ है । यह संस्कृत का पद्यबद्धकोश है। ___आधारग्रन्थ-१. संस्कृत साहित्य का इतिहास-श्री कोष (हिन्दी अनुवाद)। २. संस्कृत साहित्य का इतिहास-श्री वाचस्पति गैरोला । ३. हिन्दी शब्दसागर भाग १-भूमिका नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी। ४. संस्कृत-हिन्दी-कोश-माप्टे (हिन्दी अनुवाद)।