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संस्कृत महाकाव्य ]
संस्कृत महाकाव्य
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नहीं रखे जा सके क्योंकि उनमें इतिहास का प्राधान्य था और काव्य तस्व हल्का पड़ गया । संस्कृत महाकाव्य का श्रेणी विभाजन इस प्रकार किया गया है
महाकाव्य
पूर्णविकसित
विकसनशील
अ विकसित
प्रारम्भिक
( स्वच्छन्द)
( ६२५ )
अलंकृत ( कलात्मक साहित्यिक या अनुकृत
शास्त्रीय पौराणिक ऐतिहासिक रोमांचक रूपककथात्मक स्वच्छन्दतावादी
उत्तरकालीन चरित- प्रशस्ति- नाटकीय गीतात्मक मनोवैज्ञानिक (रीतिबद्ध) काव्य काव्य
विकसनशील महाकाव्यों में 'रामायण' और 'महाभारत' दोनों ही परिगणित किये जाते हैं । अलंकृत महाकाव्य के अन्तर्गत शास्त्रीय शैली में अश्वघोष तथा कालिदास के सभी महाकाव्य तथा कुमारदास कृत 'जानकीहरण' आते हैं । द्वितीय शैली के रीतिबद्ध शास्त्रीय महाकाव्यों में भारवि कृत 'किरातार्जुनीयम्' रत्नाकर का 'हरविजय', शिवस्वामी कृत 'कफ्फिणाभ्युदय' तथा मंखक विरचित 'श्रीकण्ठचरित' रखे जाते हैं । अलंकृत शैली के तृतीय रूप को शब्द चमत्कार - प्रधान महाकाव्य कह सकते हैं जिसके अन्तर्गत 'भट्टिकाव्य', हेमचन्द्र का 'कुमारपालचरित' धनंजय का द्विसन्धान, सन्ध्याकरनन्दी का 'रामचरित' विद्यामाधव का 'पावती - रुक्मिणीय', तथा हरिदत्त सूरि कृत 'राघवनेषधीय' आदि हैं। अलंकृत शैली के पौराणिक महाकाव्यों में 'महाभारत' को स्थान दिया जा सकता है । इस शैली के अन्य महाकाव्य हैं - जिनसेन का 'आदिपुराण', गुणभद्र का 'उत्तरपुराण', जटासिंहनदी का 'वरांगचरित', क्षेमेन्द्र का 'रामायणमंजरी', 'महाभारत मंजरी' तथा 'दशावतारचरित' हेमचन्द्र कृत 'त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित' अमरचन्दसूरि का 'बालभारत' वेंकटनाथ का 'यादवाभ्युदय', जयद्रथ का 'हरचरितचिन्तामणि' कृष्णदास कविराज का 'गोविन्दलीलामृत', नीलकण्ठदीक्षित का 'शिवलीलार्णव', यशोधर का 'यशोधरचरित', अमरचन्द का 'पणानन्द', हरिश्चन्द्र का 'धर्मशर्माभ्युदय', अभयदेवसूरि का 'जयन्तविजय' तथा वाग्भट का 'नेमिनिर्माण' आदि ।
अलंकृत शैली के ऐतिहासिक महाकाव्यों में अश्वघोषचरित 'बुद्धचरित', पद्मगुप्त का 'नवसाहसांकचरित', विल्हण का विक्रमांकदेवचरित', कल्हण की 'राजतरंगिणी', हेमचन्द्र का 'कुमारपालचरित', अमरसिंह का 'सुकृतसंकीर्तन', बालचन्द सूरि का 'वसन्त' विलास' तथा जयचन्द्रसूरि कृत 'हम्मीर महाकाव्य' आते हैं। अलंकृत शैलों के रोमांचक महाकाव्यों के अन्तर्गत सोमदेव कृत 'कथासरित्सागर', पद्मगुप्त कृत 'नवसाहसांकचरित'
४० सं० सा०