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शिवलीलाणव]
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[शिवलीलार्णव
तपस्या तथा मदनदहन, पार्वती का जन्म, तपस्या, पार्वती के तप को देखकर देवताओं का शिव के पास जाना। ब्रह्मचारी के वेश में शिव का पार्वती के पास पाना, शिव-पार्वती संवाद, शिव विवाह का उद्योग तथा शिव का विवाह, कात्तिकेय का जन्म, उनका देवताओं का सेनापतित्व ग्रहण तथा तारकासुर का वध, विष्णु के उपदेश से देवगणों का कोटिशिव मन्त्र का जाप, लिङ्गार्चन तथा उसका माहात्म्य, षोडशोपचार, गणेशचरित्र, गणेश का विवाह एवं उसे श्रवण कर कात्तिकेय को क्रोधित होकर क्रौंचपर्वत पर जाना, रुद्राक्षधारण माहात्म्य कथन, नन्दिकेश तीर्थ-माहात्म्य, शिवरात्रि व्रत का वर्णन तथा माहात्म्य, गौरी के प्रति शिव का काशी-माहात्म्य-कथन, रावण की तपस्या का माहात्म्य, वैद्यनाथ की उत्पत्ति, रामेश्वर माहात्म्य, नागेश माहात्म्य, वाराह रूप से हिरण्याक्ष का वध, प्रह्लादचरित्र, नृसिंह चरित्र एवं हिरण्यकश्यप वध, नलजन्मान्तर कथा, व्यास के उपदेश से अर्जुन का इन्द्रकील पर्वत पर जाना, तपस्या तथा इन्द्र का समागम, भिल्लरूपधारी शिव का आना तथा अर्जुन के साथ उनका युद्ध । अर्जुन की वरदान प्राप्ति, पार्थिव शिवपूजा विधि, विल्वेश्वर माहात्म्य, विष्णु द्वारा सहस्र कमल से शिव की पूजा, शिव की कृपा से विष्णु का सुदर्शन चक्र प्राप्त करना, शिवसहस्रनाम वर्णन, शिवरात्रि व्रत की प्रशंसा तथा अज्ञान में भी किये इस व्रत की प्रशंसा, चतुर्विध मुक्ति का वर्णन, शिव द्वारा विष्णु प्रभृति की उत्पत्ति का वर्णन, एकमात्र भक्ति साधन से ही शिव भक्ति-लाभ, लिंग प्रतिष्टा, लिंग निर्माण, ब्रह्मा-विष्णु द्वारा शिव की पूजा, लिंग पूजा का नियम, शिवतीर्थ सेवा माहात्म्य, पंचमहायज्ञ कथन, पार्थिव प्रतिमाविधि, प्रणवमाहात्म्य, शिवभक्तपूजाकथन, षड्लिंग माहात्म्य, बन्धन मुक्ति-स्वरूपकथन, लिंगक्रमकथन, रुद्रस्तव, शिव. सर्वमादिकथन, रुद्रलोक, ब्रह्मलोक तथा विष्णुलोक का कथन । शिवपुराण मुख्यतः भगवान शंकर एवं उनके चरित्र से आच्छादित है ।
आधारप्रन्थ-१. शिवपुराण-पंडित पुस्तकालय, वाराणसी । २. शिवपुराणगीता प्रेस, गोरखपुर (हिन्दी अनुवाद)। ३. शिवपुराण-हिन्दी अनुवाद सहित ( संस्कृति संस्थान ) श्रीराम शर्मा । ४. पुराण-तत्व-मीमांसा-श्रीकृष्णमणि त्रिपाठी । ५. पुराण-विमर्श-पं बलदेव उपाध्याय । ६. भागवत-दर्शन-डॉ. हरवंशलाल शर्मा । ७. शेवमत--डॉ. यदुवंशी, राष्ट्रभाषा परिषद् पटना। ८. तांत्रिकवाङ्मय में शाक्तदृष्टि--म० म० डॉ० गोपीनाथ कविराज । ९. भारतीय संस्कृति और साधना भाग १, २, म० म० डॉ० गोपीनाथ कविराज । १०. भारतीय-दर्शन-पं० बलदेव उपाध्याय ।
शिवलीलार्णव-(महाकाव्य ) इसके रचयिता सत्रहवीं शताब्दी के तंजोरनिवासी कवि नीलकण्ठ हैं। इसमें २२ सों में मदुरा में पूजित शिवजी की ६४ लीलायें वर्णित हैं। नीलकण्ठ ने 'गंगावतरण' नामक एक अन्य महाकाव्य की भी रचना की है। शिवलीलार्णव' का प्रकाशन सहृदय संस्कृत जनल के १७, १८ भाग में हुआ है तथा 'गंगावतरण' काव्यमाला का ७६ वा प्रकाशन है। गंगावतरण' में ८ सग हैं। नीलकण्ठ की भाषा अलंकृत, सरल एवं प्रभावशाली है। गंगावतरण'