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भीमदभागवतपुराण]
( ५८९)
[श्रीमद्भागवतपुराण
वानप्रस्थ आश्रमों के नियम, यतिधर्म का विवेचन, गृहस्थ संबन्धी सदाचार तथा मोक्षधर्म।
अष्टम स्कन्ध-मन्वन्तर वर्णन, गजेन्द्र कथा, समुद्र-मथन की कथा, मोहिनी अवतार एवं देवासुर संग्राम, आगामी सात मन्वन्तरों का वर्णन, मनु आदि के कर्मों का वर्णन, राजा बलि की कथा तथा वामनचरित, मत्स्यावतार की कथा। ___ नवम स्कन्ध-वैवस्वत मनु के पुत्र राजा सुद्युम्न की कथा, महर्षि च्यवन एवं सुकन्या का चरित्र, राजा शर्याति का वंश वर्णन, नाभाग और अम्बरीष की कथा, दुर्वासा की दुःख निवृत्ति, इक्ष्वाकु वंश वर्णन, मान्धाता और सौभरि ऋषि की कथा, राजा त्रिशंकु और हरिश्चन्द्र की कथा, सगर-चरित्र, भगीरथ चरित्र एवं गंगावतरण, रामचरित्र, इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं का वर्णन, राजा निमि का वंश-वर्णन, चन्द्रवंशवर्णन, परशुराम-कथा, ययाति चरित्र, पुरुवंश तथा दुष्यन्तशकुन्तलोपाख्यान, भरतचरित्र एवं भरतवंश-वर्णन, राजा रन्तिदेव की कथा, पांचाल, कोरव एवं मगधवंशीय राजाओं का वर्णन, यदुवंश-वर्णन तथा विदर्भवंश वर्णन ।
दशम स्कन्ध-वासुदेव-देवकी-विवाह तथा कंस द्वारा देवकी के ६ पुत्रों की हत्या, श्रीकृष्ण जन्म कथा, पूतना उद्धार, शकट भंजन एवं तृणावतं की कथा, यमलार्जुन उवार एवं कृष्ण का ऊखल में बांधा जाना, वत्सासुर एवं वकासुर का उदार, अघासुर-वध, ब्रह्माजी का मोह एवं ब्रह्मा द्वारा भगवान् की स्तुति, धेनुकासुर का वध एवं कालियनाग की कथा, प्रलम्बासुर का उद्धार, गोपों का दावानल से रक्षा, वर्षा-शरद् ऋतु का वर्णन, वेणुगीत, चीरहरण, यज्ञपत्नियों पर कृपा, इन्द्रयज्ञ निवारण, गोवर्धनधारण, रासलीला, गोपिका गीत, सुदर्शन और शङ्खचूड का उद्धार, अरिष्टासुर का उद्धार एवं अक्रूर आगमन, श्रीकृष्ण-बलराम का मथुरा गमन, कंसवध तथा कुना की कथा, श्रीकृष्ण बलराम का यज्ञोपवीत तथा गुरुकुल-प्रवेश, जरासन्ध के साथ युद्ध और कृष्ण का द्वारिकापुरी में बास, बलराम का विवाह, रुक्मिणी कथा एवं कृष्ण के साथ विवाह, प्रद्युम्न का जन्म तथा शम्बरासुर का वध, जाम्बवती एवं सत्यभामा के साथ कृष्ण का विवाह, अन्यान्य विवाहों की कथा, उषा-अनिरुद्ध कथा, वाणासुरपराभव राजा नृग की कथा, बलरामजी का ब्रजगमन, पोण्ड्रक एवं काशिराज का उद्धार, द्विविद का वध, कौरवों पर बलराम जी का कुपित होना एवं साम्ब का विवाह । पाणवों के राजसूय यज्ञ का आयोजन एवं जरासंधवध, शिशुपाल वध, सुदामा की कथा, कृष्ण और बलराम का गोपियों से पुनः भेंट, वेद-स्तुति, शिव का संकटमोचन, कृष्ण के लीला-विहार का वर्णन ।
एकादश स्कन्ध-ऋषियों द्वारा यदुवंशियों को शाप, माया, ब्रह्म एवं कर्मयोग का निरूपण, भगवान् के अवतारों का वर्णन, भक्तिहीन पुरुषों की गति तथा भगवान् के पूजा-विधान का वर्णन, देवताओं द्वारा भगवान् को परमधाम सिधारने के लिए प्रार्थना, अवधूतोपाख्यान, लौकिक और पारलौकिक भोगों की निःसारता का निरूपण, बट, मुक्त एवं भक्तों के लक्षण, सत्संग की महिमा एवं कर्म तथा कर्मत्याग का विधान, सनकादि को दिये गए उपदेश का वर्णन-हंसरूप से, भक्तियोग एवं ध्यानविधि का वर्णन,