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सुयोधन राजाकी कथा ।
२७ mmmmmmmmmmmmm mmmmmmmmmmmm पंच आश्चर्योंकी वर्षा की और इन्द्रदत्तकी पूजा की। सच है-उद्योग, साहस, धीरता, बल, बुद्धि, और पराक्रम जिसके पास हैं, उससे देव भी डरते हैं । इस कथाको सुनकर भी यमदंडका अभिप्राय राजाने न समझा । यमदंड कहानी कह कर अपने घर चला गया । इस तरह यमदंडने तीसरा दिन भी बिताया। __ चौथे दिन यमदंड फिर राजाके पास सभामें आया । राजाने फिर भी पूछा कि चोर मिला क्या ? यमदंडने उत्तर दिया-महाराज, चोर नहीं मिला । राजाने जब देरीका कारण पूछा तब यमदंडने कहा-महाराज, रास्तेमें एक आदमी हरिणीकी कहानी कह रहा था, मैं उसे सुनने लग गया, इसलिए देर हो गई । राजाने कहा-वह कैसी कहानी थी। यमदंड सुनाने लगा
एक उपवनमें तालाबके किनारे एक हरिणी रहती थी। वह अपने बच्चों के साथ वनमें घास वगैरह खाती और उस तालाबका पानी पीकर सुखसे काल बिताती थी।
उस तालाव हीके पास एक नगर था । उसमें अरिमर्दन नामका राजा था। उसके बहुतसे राजकुमार थे । एक दिन किसी शिकारीने पुराने वनमेंसे एक मृगके बच्चेको पकड़ लाकर एक राजकुमारकी भेंट किया। उसे और और राजकुमारोंने जब देखा तब वे सब मिलकर राजासे.कहने लगे-हमें भी मृगके बच्चे मँगा दीजिए । राजाने बहुतसे शिकारियों को बुलाया और
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