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कनकलताकी कथा ।
७-कनकलताकी कथा।
मलताकी कथा सुनकर अहंदासने कनकलतासे कहा-प्रिये, तुम भी अपने सम्यक्त्वके प्राप्तिका कारण बतलाओ । कनकलता तब यों कहने
लगी1 अवति देशमें उज्जयिनी नगरी है। उसमें नरपाल नामका राजा था। उसकी रानी मदनवेगा थी। राजमंत्रीका नाम मदनदेव था । मंत्रीकी स्त्रीका नाम सोमा था। इसी नगरीमें समुद्रदत्त नामका एक सेठ रहता था। सेठकी स्त्रीका नाम सागरदत्ता था। इसके एक पुत्र और एक पुत्री थी। पुत्रका नाम उमय और पुत्रीका नाम जिनदत्ता था। जिनदत्ता कौशाम्बीके रहनेवाले जिनदत्त श्रावकको ब्याही गई थी । उमय बड़ा व्यसनी था। माता-पिताने उसे बहुतेरा मना किया, पर उसने व्यसनोंको न छोड़ा । उन्होंने दुखी होकर सोचा-सच है पूर्व जन्ममें उपार्जन किये कर्मोको कोई नहीं मेट सकता।
उमय हर रोज शहरमें चोरी किया करता था । एक दिन गस्त लगानेवाले सिपाहीने उसे चोरी करते पकड़ लिया। वह उमयको मारता, पर समुद्रदत्तके कहनेसे उसने उसे छोड़ दिया । इसी तरह सिपाहीने कई वार चोरी करते उसे प
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