________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सम्यक्त्व-कौमुदी
और उसमें रुचि करता हूँ। अहंदासकी और स्त्रियोंने भी ऐसा ही कहा। पर कुन्दलताने पहलेकी तरह ही दृढ़तासे कहायह सब झूठ है । मैं इस पर श्रद्धान नहीं करती। राजा, मंत्री
और चोर मनमें विचारने लगे-कनकलताकी प्रत्यक्ष देखी हुई बातको भी यह झूठी बतला रही है, यह बड़ी ही पापिनी है । राजाने कहा-मैं सबेरे ही इसे गधे पर चढ़ाकर शहरसे निकाल दूंगा। चोरने सोचा-जो किसीको झूठा ही दोष लगाता है, वह नीच गतिका पात्र होता है। मनुष्यको दूसरोंके विद्यमान गुणोंको छुपाना तथा अविद्यमान दोषोंको कहना उचित नहीं । जो ऐसा करते हैं उनका जन्म नीच गोत्रमें होता है।
८-विद्युल्लताको कथा ।
ViralVAAR
AVIA क नकलताकी कथा सुनकर अहंदासने विद्यु
- लतासे कहा-प्रिये, अब तुम भी अपने सम्यक्त्वका कारण सुनाओ।
विद्युल्लताने तब यों सुनाना आरंभ किया-भरतक्षेत्रमें कौशाम्बी नगरी है। उसका राजा सुदंड था। विजया इसकी रानी थी। मंत्रीका नाम सुमति था। गुणश्री मंत्रीकी स्त्री थी। सूरदेव राजसेठ था। गुणवती सेठकी स्त्री थी । एक वार सूरदेव व्यापा
For Private And Personal Use Only